PCOS महिलाओं में होने वाली एक गंभीर समस्या है जिससे आजकल कई महिलाएं प्रभावित हैं। इसे पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के नाम से भी जाना जाता है जो एक हार्मोनल डिसऑर्डर है जो रिप्रोडक्टिव हार्मोन में असंतुलन के कारण होता है। ऐसे में आप कुछ जड़ी-बूटियों की मदद से इसके लक्षणों से राहत पा सकते हैं। आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ जड़ी-बूटियों के बारे में-

 तेजी से बदलती लाइफस्टाइल का असर सभी की सेहत पर पड़ता है। खासकर महिलाएं इन दिनों कई समस्याओं का शिकार हो रही हैं। ऑफिस का प्रेशर और घर की जिम्मेदारियों के बीच अक्सर महिलाएं अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर देती हैं। ऐसे में वीमेंस डे (Women’s Day 2024) एक सही मौका है उन्हें उनकी सेहत के प्रति जागरूक करने का। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) एक ऐसी ही समस्या है, जो कई महिलाओं को प्रभावित करती है।

पीसीओएस एक हार्मोनल डिसऑर्डर है, जो रिप्रोडक्टिव हार्मोन में असंतुलन के कारण होता है, जिससे अनियमित पीरियड्स, बालों का अधिक बढ़ना, मुंहासे और वजन बढ़ना जैसे लक्षण नजर आते हैं। ऐसे में आप अपनी डाइट में कुछ जड़ी-बूटियों को शामिल कर इस समस्या से राहत पा सकते हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसे हर्ब्स के बारे में-

मेथीदाना

लगभग हर भारतीय किचन में इस्तेमाल होने वाला मेथीदाना पीसीओएस की समस्या से राहत दिलाने में मदद करता है। यह पीरियड्स को रेगुलर करने और इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार करने की क्षमता के लिए जाना जाता है, जो इसे पीसीओएस की समस्या के लिए फायदेमंद बनाता है।

स्पीयरमिंट

आपने स्पीयरमिंट चाय के बारे में सुना ही होगा। यह चाय सेहत के लिए काफी गुणकारी होती है। अपने एंटी-एंड्रोजेनिक गुणों के कारण यह पीसीओडी के कारण होने वाले बालों के एक्सट्रा विकास को कम करने में मददगार साबित होगी।

दालचीनी

खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होने वाली दालचीनी पीरियड्स को रेगुलेट करने और इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार करने में मदद कर सकती है और यही वजह है कि यह पीसीओएस से संबंधित अनियमित पीरियड्स और इंसुलिन रेजिस्टेंस के प्रबंधन में सहायता कर सकती है।

मुलैठी

मुलैठी पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है। साथ ही मुंहासे और एक्सट्रा बालों के विकास जैसे लक्षणों को संबोधित कर सकता है। यह हार्मोनल संतुलन को भी सपोर्ट करता है।

पिप्पली

पिप्पली एक चमत्कारी जड़ी-बूटी है, जो अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों की वजह से फ्री रेडिकल्स से होने वाले डैमेज से लड़ती है और रिप्रोडक्टिव सिस्टम में हेल्दी सेल्स के ऑक्सीडेशन को रोकती है। यह जड़ी बूटी वजन नियंत्रित करने, इंसुलिन रेजिस्टेंस में सुधार करने और हार्मोन के स्तर को संतुलित करने में भी मदद करती है।

Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।