पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने गुरुवार को कहा कि मुझे इस बात का अफसोस है कि 2010 में मेरी नियुक्ति नेता विपक्ष की सलाह के बिना हुई थी। उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नेता विपक्ष (एलओपी) सुषमा स्वराज से सलाह किए बिना मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में मुझे नियुक्त किया था, क्योंकि तब संविधान में ऐसा कोई प्रविधान नहीं था।

केरल साहित्य महोत्सव (केएलएफ) के सातवें संस्करण के उद्घाटन दिवस पर बोलते हुए कुरैशी ने कहा कि अगर सीईसी के रूप में मेरी नियुक्ति तत्कालीन एलओपी से सलाह के बाद की गई होती तो मैं निश्चित रूप से मजबूत महसूस करता। क्योंकि यह दूसरी पार्टी द्वारा उन्हें स्वीकार किए जाने का प्रमाण होता।

कुरैशी ने नियुक्ति को लेकर कही ये बात

 

उन्होंने कहा कि मुझे उस प्रणाली के तहत नियुक्त किया गया था, जिसके तहत उस समय की सरकार किसी को भी नियुक्त कर सकती थी। क्योंकि संविधान या कानून में ऐसा कोई प्रविधान नहीं है कि किसे चुना जाए, उसकी योग्यता क्या होगी। अपनी किताब इंडियाज एक्सपेरिमेंट विद डेमोक्रेसी पर चर्चा के दौरान कुरैशी ने कहा कि जब मैं सीईसी था, तब भी मुझे इस बात का अफसोस रहता था कि विपक्ष के नेता से सलाह किए बिना सीधे पीएम ने मेरी नियुक्ति कर दी थी।

बेदाग लोकसभा चुनाव कराएं

 

मुख्य चुनाव आयुक्त मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने गुरुवार को राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) से आगामी लोकसभा चुनाव बेदाग संपन्न कराने को कहा। राजीव कुमार ने लोकसभा चुनाव से पहले नई दिल्ली में मुख्य चुनाव अधिकारियों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि चुनाव की राह कर्तव्य और संकल्प की यात्रा है। उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र सबसे अच्छा चुनावी अनुभव प्रदान करने के लिए की गई तैयारियों पर भरोसा जताया।

दो-दिवसीय सम्मेलन का आयोजन चुनाव योजना, व्यय निगरानी, मतदाता सूची, आइटी के उपयोग, डाटा प्रबंधन और ईवीएम पर चर्चा के साथ-साथ हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों से अनुभव और सीख साझा करने के लिए किया जा रहा है।