नई दिल्ली। मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति और सेवा शर्तों से जुड़ा विधेयक राज्यसभा से पारित हो गया है। इस विधेयक को लेकर आप सांसद राघव चड्ढा ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने सरकार के इस कदम को लोकतंत्र के खिलाफ बताया है।

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'बिलडोजर' से लोकतंत्र को कुचला- राघव

आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि सरकार ने इस 'बिलडोजर' से लोकतंत्र को कुचल दिया है। अगर कोई स्वतंत्र, निष्पक्ष चुनाव आयोग नहीं है तो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कैसे हो सकते हैं? चुनाव आयोग की अहम भूमिका है।

सांसद राघव चड्ढा ने साधा सरकार पर निशाना

सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक फॉर्मूला दिया और कहा कि तीन सदस्यीय समिति बनाए- प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, भारत के मुख्य न्यायाधीश। यही समिति तय करेगी कि कौन चुनाव आयोग में बैठेगा या गठन कैसे होगा। आज सरकार ये बिल लाकर इस तीन सदस्यीय समिति में से भारत के मुख्य न्यायाधीश को बाहर का दरवाजा दिखाकर एक मनोनीत कैबिनेट मंत्री उसके जगह बैठा देती है, यानी इस तीन सदस्यीय समिति में हमेशा दो वोट सरकार के पास होंगे।

कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे- राघव चड्ढा

उन्होंने कहा कि सरकार तय करेगी कि चुनाव आयोग में कौन बैठेगा। चुनाव आयोग की भूमिका भारतीय लोकतंत्र में बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, अगर इसके इंडिपेंडेंस से खिलवाड़ होगा तो चुनावों से खिलवाड़ करने के बराबर है। इसलिए हम सब मिलकर आपस में सलाह करेंगे और कानूनी राय लेंगे। अगर कानूनी राय सबकी बनती है तो इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी देंगे।

कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने उठाए सवाल

इससे पहले कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने विधेयक को भारत के लोकतंत्र पर हमला बताया था। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने भारत के लोकतंत्र पर हमला किया है। भारत के लोकतंत्र और चुनावी तंत्र की स्वायत्तता, निडरता और निष्पक्षता को बुलडोजर से कुचल दिया गया है। कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि एक समय था जब EC का मतलब 'चुनावी विश्वसनीयता' होता था, आज इसका मतलब है 'चुनावी समझौता'।