Deepfake Technology ये टेक्नोलॉजी ऐसी एल्गोरिदम और पैटर्न को लर्न करती है जिसका इस्तेमाल मौजूदा इमेज या वीडियो में हेरफेर करके उसके और ज्यादा रियल बनाने में किया जाता है। इससे बनी वीडियो और इमेज पर लोग आसानी से भरोसा भी कर लेते हैं। ये टेक्नोलॉजी Generative Adversarial Networks (GANs) का इस्तेमाल करती है जिससे फेक वीडियो और इमेज बनाये जाते हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी खतरनाक टेक्नोलॉजी बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है। दुनिया भर में डीपफेक काफी तेजी से फैल रहा है। ओबामा से लेकर पुतिन और मनोज से लेकर रश्मिका तक, आज हम जो देख रहे हैं वह उस नुकसान की एक झलक मात्र है, जो एक अनियंत्रित टेक्नोलॉजी हम पर ला सकती है। आइए जानते हैं ये टेक्नोलॉजी कैसे काम करती है और इसकी शुरुवात कैसे हुई थी।
क्या है डीपफेक टेक्नोलॉजी
डीपफेक शब्द 'Deep Learning' और 'Fake' के मेल से बना है। डीप फेक टेक्नोलॉजी की मदद से किसी दूसरे की फोटो या वीडियो पर किसी सेलिब्रिटी वीडियो के फ़ेस के साथ फेस स्वैप कर दिया जाता है। ये देखने में बिलकुल असली वीडियो या इमेज की तरह दिखती है।
ये टेक्नोलॉजी ऐसी एल्गोरिदम और पैटर्न को लर्न करती है, जिसका इस्तेमाल मौजूदा इमेज या वीडियो में हेरफेर करके उसके और ज्यादा रियल बनाने में किया जाता है। इससे बनी वीडियो और इमेज पर लोग आसानी से भरोसा भी कर लेते हैं। ये टेक्नोलॉजी Generative Adversarial Networks (GANs) का इस्तेमाल करती है जिससे फेक वीडियो और इमेज बनाये जाते हैं।