एक बार कायदे से हाइड्रोन इंफ्रा तैयार हो जाता है तो हाइड्रोजन गाड़ियां ईवी के कंपैरिजन में क्विक रिफिलिंग लंबी रेंज और पर्यावरण को बिना हानी के संचालन में मदद करेंगी। ईवी की तुलना में इसका डेली रनिंग कॉस्ट भी कम हो सकता है। हालांकि हाइड्रोजन की उपलब्धता एक बड़ा सवाल है। ऐसे में अभी हाइड्रोजन फ्यूल को आने में समय लग सकता है।

पिछले कुछ सालों से वाहन बनाने वाली कंपनियों का झुकाव इलेक्ट्रिक कारों की तरफ बढ़ा है। खासतौर से ईवी मार्केट का शेयर कोविड के बाद से तेज से ग्रो किया है। वहीं दूसरी ओर भारत सरकार ईवी के अलावा हाइड्रोजन को लेकर तेजी से काम कर रही हैं ऐसे में सवाल उठता है कि आने वाला समय किसका होगा EV का या फिर हाइड्रोजन का। क्योंकि डीजल-पेट्रोल और सीएनजी गाड़ियों की बिक्री देश में सबसे अधिक है। इस खबर के माध्यम से कुछ कॉमन सवालों का जवाब लेकर आये हैं, जिसको जानने के बाद आपका कन्फ्यूजन काफी हद तक कम हो जाएगा।

क्या हाइड्रोजन इलेक्ट्रिक कारों से बेहतर होंगी?

फिलहाल इलेक्ट्रिक कार का मार्केट शेयर भारत में बढ़ रहा है, जिसको देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं लोग ईवी पर धीरे-धीरे भरोसा कर रहे हैं। अब हाइड्रोजन पर लोग अचानक स्विच नहीं करेगे, लेकिन हां ईवी के कंपैरिजन हाइड्रोजन फ्यूल बेहतर है। क्योंकि ये पर्यावरण के लिए जीरो हार्मफुल हैं। एक बार कायदे से हाइड्रोन इंफ्रा तैयार हो जाता है तो हाइड्रोजन गाड़ियां ईवी के कंपैरिजन में क्विक रिफिलिंग, लंबी रेंज और पर्यावरण को बिना हानी के संचालन में मदद करेंगी।

ईवी की तुलना में इसका डेली रनिंग कॉस्ट भी कम हो सकता है। हालांकि, हाइड्रोजन की उपलब्धता एक बड़ा सवाल है। ऐसे में अभी हाइड्रोजन फ्यूल को आने में समय लग सकता है, लेकिन इसे भविष्य का फ्यूल कह अभी थोड़ा जल्दीबाजी होगी।