खैर शुरुआत के लिए एक स्ट्रांग-हाइब्रिड पूरी तरह से ईवी मोड पर चल सकता है भले ही इसकी निश्चित तय सीमा हो। लोड और बैटरी स्तर के आधार पर हाइब्रिड सिस्टम ऑटोमैटिक रूप से ICE और हाइब्रिड मोड के बीच स्विच करता है आपको बची हुई ड्राइविंग रेंज के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है

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ओम धगाल - पूर्व प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य भाजपा युवा मोर्चा

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इस समय इंडियन मार्केट में हाइब्रिड कारों का चलन बढ़ता जा रहा है। हालांकि हाइब्रिड गाड़ियों में 3-4 विकल्प मिलते हैं, जिसमें सबसे अधिक माइल्ड और स्ट्रांग हाइब्रिड ऑप्शन वाली गाड़ियां दिख जाएंगी। अब ऐसे में सवाल उठता है कि माइल्ड हाइब्रिड वाली गाड़ी खरीदें या फिर स्ट्रांग हाइब्रिड वाली गाड़ी। इसका जवाब आपको इस खबर के माध्यम से मिलने वाला है।

माइल्ड और स्ट्रांग हाइब्रिड में कौन बेहतर?

स्ट्रांग हाइब्रिड कार में फ्यूल इंजन भी होता है और ये इंजन इलेक्ट्रिक मोटर के सपोर्ट के साथ काम करता है। इससे कार का माइलेज काफी हद तक बढ़ जाता है। हाइब्रिड कार पेट्रोल डीजल कारों की तुलना में कम प्रदूषण फैलाती हैं। इन कारों की कीमत आम फ्यूल कारों से थोड़ी ज्यादा होती है क्योंकि इसमें इलेक्ट्रिक तकनीक का भी इस्तेमाल किया जाता है। वहीं माइल्ड हाइब्रिड तकनीक कम खर्चीली कारों में ऑफर की जा रही है जिससे कार चलाने का एक्सपीरियंस बेहतर जरूर होता है लेकिन बात करें खर्च की तो माइल्ड हाइब्रिड कार चलाने में हाइब्रिड कार की तुलना में खर्च ज्यादा है।

स्ट्रांग हाइब्रिड क्यूं है बेस्ट?

खैर, शुरुआत के लिए एक स्ट्रांग-हाइब्रिड पूरी तरह से ईवी मोड पर चल सकता है, भले ही इसकी निश्चित तय सीमा हो। स्ट्रांग हाइब्रिड ICE और ईवी के बीच की दूरी को पाटने का काम करता है। लोड और बैटरी स्तर के आधार पर, हाइब्रिड सिस्टम ऑटोमैटिक रूप से ICE और हाइब्रिड मोड के बीच स्विच करता है, इसलिए आपको बची हुई ड्राइविंग रेंज के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। यही वजह है कि स्ट्रांग हाइब्रिड कारें बेहतरीन माइलेज देती हैं। इसका उदाहरण आप ग्रैंड विटारा से ले सकते हैं।