जिले में भाजपा और कांग्रेस दोनों राष्ट्रीय दलों का बोलबाला रहा है। यहां पर भाजपा-कांग्रेस के अलावा कोई अन्य दल अपनी जमीनी जड़ें मजबूत नहीं कर पाया है। इसलिए हरदा जिले में भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी ही जीतकर विधानसभा पहुंचे है। ऐसे में दलों को जीताऊ प्रत्याशियों की हर चुनाव में तलाश रहती है।
हरदा-खिरकिया विधानसभा में वर्ष 1993 से भाजपा को एक ही प्रत्याशी पर भरोसा है। पिछले 30 वर्ष से भारतीय जनता पार्टी कमल पटेल को अपना प्रत्याशी बना रही है। जबकि कांग्रेस ने दो बार विष्णु राजौरिया और डा. रामकिशोर दोगने और एक-एक बार अनिल पटेल और हेमंत टाले को मौका दिया है। इसमें से सिर्फ कांग्रेस के रामकिशोर दोगने ही वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत दिला सके हैं। जबकि विष्णु राजौरिया दो बार और एक-एक बार अनिल पटेल और हेमंत टाले भाजपा के कमल पटेल से हार का सामना कर चुके हैं।
यहां भाजपा से टिकट के लिए दावेदारी तक नहीं कर पाया
कांग्रेस ने वर्ष 1993 और 2003 में विष्णु राजौरिया, 1998 में अनिल पटेल, वर्ष 2008 में हेमंत टाले और वर्ष 2013 और 2018 में रामकिशोर दोगने को विधानसभा चुनाव में अपना प्रत्याशी बनाया था। वर्ष 2023 के चुनाव से पहले भाजपा की ओर से पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष रहे सुरेंद्र जैन ने कमल पटेल के अलावा टिकट के लिए दावेदारी पेश की। इससे पहले कोई भाजपा से टिकट के लिए दावेदारी तक नहीं कर पाया था।
ऐसे रहा भाजपा और कांग्रेस का चुनावी सफर
वर्ष 1993 के चुनाव में कमल पटेल को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया। उनके सामने कांग्रेस के विष्णु राजौरिया रहे। इस चुनाव में पटेल को 41,107 वोट मिले जबकि राजौरिया जनता के 29, 542 वोट ही हासिल कर सके। ऐसे में उन्हें 11 हजार 565 वोट से हार का सामना करना पड़ा। इसी बीच 1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कमल पटेल के सामने अनिल पटेल को उतारा, लेकिन उन्हें कमल पटेल की तुलना में 14 हजार 69 कम वोट से संतोष करना पड़ा।