प्रोटोकॉल कहता है कि उपराष्ट्रपति यदि राज्य में आए तो यह जरूरी है कि वहां के गवर्नर और मुख्यमंत्री उनकी अगवानी करें, लेकिन राजस्थान की राजनीति में ऐसा पहली बार हुआ है, जब मुख्यमंत्री ने ही वाइस प्रेसिडेंट के दौरों पर सवाल खड़े कर दिए हों।

सीएम अशोक गहलोत ने खुद अपने बयान में चुनाव का जिक्र कर यह जाहिर कर दिया है कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के लगातार राजस्थान दौरे से उपजी उनकी चिंता चुनावी है। धनखड़ पिछले 9 महीने में 10 बार राजस्थान आ चुके हैं। पिछली दफा सितंबर महीने में ही उनका चौथा राजस्थान दौरा था।

 इस पूरे विवाद की पड़ताल की तो पता चला कि उपराष्ट्रपति के जिन जिलों में अब तक दौरे हुए हैं, वहां की 83 विधानसभा सीटों में से सिर्फ 21 सीटें भाजपा के पास हैं।

पढ़िए, पूरी रिपोर्ट…

सबसे पहले 27 सितंबर को दिया गया मुख्यमंत्री गहलोत का बयान पढ़िए?

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 27 सितंबर को जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम में मिशन 2030 के लिए जनसंवाद कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के लगातार राजस्थान दौरों पर सवाल उठाए। गहलोत ने कहा था- पहले प्रधानमंत्री आए और अब उपराष्ट्रपति अप-डाउन कर रहे हैं।

उपराष्ट्रपति अगर राष्ट्रपति बनेंगे तो भी हम स्वागत करेंगे, लेकिन अभी मेहरबानी रखें। बार-बार सुबह-शाम आ रहे हैं। दौरे कर रहे हैं। इसका कोई तुक नहीं है। क्या तुक है। चुनाव चल रहे हैं राजस्थान में। आप बार-बार आएंगे तो लोग क्या समझेंगे। आप चाहते क्या हो? यह संवैधानिक संस्थाएं हैं। उनका मान-सम्मान रहना चाहिए। चाहे कोई सरकार हो।

पहले जमकर तारीफ, अब दौरों पर सवाल

जगदीप धनखड़ जब उपराष्ट्रपति बने थे तो उनका अभिनंदन समारोह विधानसभा में रखा गया था। उस समय सीएम अशोक गहलोत और उपराष्ट्रपति ने एक दूसरे की जमकर तारीफ की थी। समारोह में बोलते हुए गहलोत ने उपराष्ट्रपति धनखड़ से कहा- 50 साल से मेरा आपसे रिश्ता है। लेकिन अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उनके दौरों पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि बार-बार राजस्थान का दौरा करने का मकसद क्या है?

उपराष्ट्रपति के 10 दौरे और 28 कार्यक्रम की पड़ताल

इन बयानों के सामने आने के बाद उपराष्ट्रपति के दौरों की पड़ताल की। उपराष्ट्रपति का इस साल 9 महीने में 10 बार राजस्थान आना हुआ। उन्होंने 28 कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। उनमें सबसे ज्यादा 16 दौरे स्कूल, यूनिवर्सिटी और रिसर्च सेंटर्स के बुलावे पर किए। उनके 6 कार्यक्रम धार्मिक स्थलों से जुड़े थे।

27 सितंबर को एक ही दिन में 5 कार्यक्रम

27 सितंबर को जोधपुर एनएलयू में छात्रों से संवाद।

बालोतरा के खेताराम जी ब्रह्मा मंदिर में दर्शन।

कृषि विज्ञान केंद्र गुड़ामालानी में किसानों को संबोधित किया।

बीकानेर में मूंगफली अनुसंधान केंद्र, सेंट्रल एरिड हॉर्टिकल्चर इंस्टीट्यूट में कार्यक्रम।

बिट्स पिलानी में कार्यक्रम।

14 मई को नाथूराम मिर्धा की मूर्ति अनावरण समारोह : उस दिन से ज्योति मिर्धा के बीजेपी में जाने के कयास लगने लगे थे

उपराष्ट्रपति ने 14 मई को नागौर जिले के मेड़ता सिटी में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे नाथूराम मिर्धा की मूर्ति के अनावरण समारोह में हिस्सा लिया था। इस समारोह में नाथूराम मिर्धा की पोती और पूर्व कांग्रेस सांसद ज्योति मिर्धा, उनके चाचा रिछपाल मिर्धा और कृषि मंत्री लाल चंद कटारिया मौजूद थे। ज्योति मिर्धा के बीजेपी जॉइन करने की अटकलें उस दिन से ही लगनी शुरू हो गई थीं। इस कार्यक्रम के करीब 3 महीने बाद हाल ही में ज्योति मिर्धा बीजेपी में शामिल हुई हैं।

28 में से 6 कार्यक्रम धार्मिक

उपराष्ट्रपति के सबसे ज्यादा कार्यक्रम शिक्षण संस्थानों के रहे, लेकिन दूसरे नंबर पर धार्मिक यात्राएं भी रहीं। वे 27 सितंबर को वे खेतारामजी मंदिर में दर्शन करने गए। 23 सितंबर को टोंक के चोरू में धन्ना भगत की जन्मस्थली पर कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इससे पहले 12 सितंबर को निठार के लक्ष्मणजी महाराज मंदिर में दर्शन और पूजा अर्चना की। इसके बाद टोंक जिले में ही डिग्गी कल्याण जी मंदिर में दर्शन और पूजा अर्चना की। इससे पहले 14 मई को वे खरनाल में तेजाजी मंदिर और इसके बाद पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर में दर्शन करने गए थे।

दो बार राजस्थान विधानसभा के निमंत्रण पर आए

उपराष्ट्रपति 11 जनवरी को जयपुर में पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में और 22 अगस्त को उदयपुर में कॉमनवेल्थ पार्लियामेंट्री यूनियन के सम्मेलन में विधानसभा के निमंत्रण पर आए।

उपराष्ट्रपति ने जिन जिलों के दौरे किए वहां 83 विधानसभा सीटें : 51 पर कांग्रेस, 21 पर बीजेपी

मुख्यमंत्री ने अपने बयान में उपराष्ट्रपति के दौरों पर टिप्पणी तो की लेकिन खुलकर यह भी नहीं कहा कि उन्हें किस बात पर आपत्ति है। हमने उपराष्ट्रपति के उन 10 जिलों की सभी 83 सीटें खंगाली, जहां वे दौरे पर गए। इनमें से 21 सीटों पर बीजेपी के विधायक हैं। जबकि 51 पर कांग्रेस के विधायक हैं।

बाड़मेर : 7 में 6 कांग्रेस, 1 बीजेपी

भरतपुर : 7 में 6 कांग्रेस, एक आरएलडी और बीजेपी की कोई सीट नहीं

झुंझुनूं : 7 में से 6 कांग्रेस 1 बीजेपी

जोधपुर : 10 में से 7 कांग्रेस, 2 बीजेपी, 1 आरएलपी

नागौर : 10 में से 6 कांग्रेस, 2 बीजेपी, 2 आरएलपी

जयपुर : 19 में से 10 कांग्रेस, 6 बीजेपी, 3 निर्दलीय

चित्तौड़गढ़ : 05 में से 02 कांग्रेस, 03 बीजेपी

उदयपुर : 08 में से 02 कांग्रेस, 05 बीजेपी, 01 खाली

कोटा : 06 में से 03 कांग्रेस, 03 बीजेपी

टोंक : 04 में से 03 कांग्रेस, 01 बीजेपी 

उपराष्ट्रपति के दौरे में भाषणों में क्या रहा?

11 जनवरी, जयपुर : संसद के काम में सुप्रीम कोर्ट के दखल पर नाराजगी

11 जनवरी को पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद के कामों में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप पर नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा- संसद कानून बनाता है और सुप्रीम कोर्ट उसे रद्द कर देता है। क्या संसद द्वारा बनाया गया कानून तभी कानून होगा जब उस पर कोर्ट की मुहर लगेगी।

संसद के फैसले कोई और क्यों रिव्यू करे?

धनखड़ ने कहा- 1973 में एक बहुत गलत परंपरा चालू हुई। केशवानंद भारती केस में सुप्रीम कोर्ट ने बेसिक स्ट्रक्चर का आइडिया दिया कि संसद संविधान संशोधन कर सकती है, लेकिन इसके बेसिक स्ट्रक्चर को नहीं। कोर्ट को सम्मान के साथ कहना चाहता हूं कि इससे मैं सहमत नहीं। हाउस बदलाव कर सकता है। यह सदन बताए कि क्या इसे किया जा सकता है? क्या संसद को यह अनुमति दी जा सकती है कि उसके फैसले को कोई और संस्था रिव्यू करें?

15 सितंबर, जोबनेर : बोले- भारत की तरक्की से कुछ लोगों का हाजमा गड़बड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 15 सितंबर को कर्ण नरेंद्र एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, जोबनेर के कार्यक्रम के दौरान विपक्ष के नेताओं पर तंज कसा। धनखड़ ने कहा था- आज भारत का डंका दुनिया में बज रहा है। भारत की तरक्की को देखकर कुछ लोगों का हाजमा गड़बड़ हो जाता है। उनसे कुछ उल्टी-पुल्टी बात किए बिना नहीं रहा जाता है।

उन्होंने कहा- यह अच्छा लगता है क्या? अच्छा नहीं लगता और नहीं लगना चाहिए। पाचन शक्ति देश के लिए अच्छी होनी चाहिए, यह विषय राजनीति का नहीं है, यह विषय देश का है। जब देश का मामला है तो सब राजनीति पीछे है, पहले मेरा देश आगे है।

धनखड़ ने कहा- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गिनती दुनिया के श्रेष्ठ नेताओं में होती है। आज भारत अपने फैसले अपने हित को देखकर करता है, किसी के जवाब में नहीं। हमें हमारे देश के प्रति हमेशा गर्व का भाव रखना चाहिए।

29 सितंबर को धनखड़ ने बिना नाम लिए किया पलटवार

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गहलोत के बयान पर इशारों में पलटवार किया। 29 सितंबर को बिहार की नालंदा यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा- यह चिंतन, मंथन और चिंता का विषय है कि कुछ लोग राजनीतिक चश्मा पहनकर संवैधानिक संस्थाओं पर अमर्यादित टिप्पणियां करते हैं। उनको ऐसा नहीं करना चाहिए। यह आचरण हमारी सांस्कृतिक धरोहर के विपरित हैं।

ऐसा जो भी कर रहे हैं, जाने अनजाने में देश का बहुत बड़ा अहित कर रहे हैं। हम मर्यादित आचरण करें। जो व्यक्ति जितने बड़े पद पर है, उसका आचरण उतना ही मर्यादित होना चाहिए। राजनीतिक फायदा उठाने के लिए कोई भी टिप्पणी करना अच्छी बात नहीं है। राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए संवैधानिक संस्थाओं को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए, यह स्वीकार्य नहीं है।

उपराष्ट्रपति दौरे का क्या है प्रोटोकॉल?

उपराष्ट्रपति के राज्य के दौरे के दौरान राष्ट्रपति के दौरे जैसी ही व्यवस्थाएं करनी होती हैं। प्रोटोकॉल में राष्ट्रपति के बाद दूसरे नंबर पर उपराष्ट्रपति आते हैं लेकिन उनके दौरे के दौरान व्यवस्थाएं वही करनी होती हैं जो राष्ट्रपति के दौरे में होती हैं। उनके रहने, ठहरने, ट्रांसपोर्ट, सिक्योरिटी की पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है।

तय प्रोटोकॉल के हिसाब उपराष्ट्रपति का व्यक्तिगत दौरा भी ऑफिशियल दौरा ही माना जाकर प्रोटोकॉल देने का प्रावधान है। उपराष्ट्रपति राजधानी के दौरे पर आते हैं तो उनके आने और जाने के दौरान प्रदेश के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, डीजीपी, पुलिस कमिश्नर, कलेक्टर, एसपी और वरिष्ठ अधिकारियों को मौजूद रहना होता है। राजधानी के अलावा दूसरे जिलों में दौरे के दौरान आम तौर पर मंत्रियों को अगवानी और विदाई के लिए भेजा जाता है।

उपराष्ट्रपति के कुछ अन्य दौरे एक नजर में

27 सितंबर को जोधपुर एनएलयू, कृषि विज्ञान केंद्र गुड़ामालानी, बीकानेर में मूंगफली अनुसंधान केंद्र, सेंट्रल एरिड हॉर्टिकल्चर इंस्टीट्यूट और बिट्स पिलानी के कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। चारों शिक्षा से जुड़े संस्थान हैं। 14 सितंबर को तीन कार्यक्रम एज्यूकेशन संस्थाओं के बुलावे पर थे।

14 सितंबर को जयपुर के एमएनआईटी में डेम सेफ्टी कांफ्रेंस, टोंक के अविकानगर में केंद्रीय भेड़ अनुसंधान केंद्र और जोबनेर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के बुलावे पर आए।

12 सितंबर को भरतपुर के एमएसजे कॉलेज, सरसों अनुसंधान केंद्र के कार्यक्रम में हिस्सा लिया।

5 सितंबर को कोटा में सैनिक स्कूल के पूर्व छात्रों से मुलाकात, अलग अलग संस्थाओं के छात्रों से संवाद किया। महारानी कॉलेज जयपुर के कार्यक्रम में शामिल हुए।

27 अगस्त को उपराष्ट्रपति जयपुर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद के बुलावे पर दौरे पर आए और कार्यक्रम को संबोधित किया। इसी दिन सैनिक स्कूल झुंझुनू में शिलान्यास, लोकार्पण किए।

22 अगस्त को चित्तौड़गढ़ में सैनिक स्कूल के छात्रों, शिक्षकों को संबोधित किया। 23 जून को एमएनआईटी जयपुर में छात्रों को संबोधित किया।

14 मई को नाथूराम मिर्धा की मूर्ति अनावरण समारोह में आए, उस दिन से ज्योति मिर्धा के बीजेपी में जाने के कयास लगे थे

11 जनवरी को विधानसभा में पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन का उद्घाटन किया।