वरिष्ठ बुजुर्गो का सम्मान व स्वाभिमान पर खरा उतरना अपना परम पूज्य का आदर..

जिस समाज या परिवार में बड़े बुजुर्गों का सम्मान नहीं होता उस परिवार में सुख, संतुष्टि और स्वाभिमान नहीं आ सकता। हमारे बड़े बुज़ुर्ग हमारा स्वाभिमान हैं, हमारी धरोहर हैं। उन्हें सहेजने की जरूरत है। यदि हम परिवार में स्थायी सुख, शांति और समृध्दि चाहते हैं तो परिवार में बुजुर्गों का सम्मान करें।

      सुंधा पर्वत पर धर्मशाला निर्माण की आवाज उन बुजर्गो की आत्मा इस धर्मशाला में आज भी अमर है जिनकी आवाज बात और वचन को लेकर आज भी मेरे द्वारा पालन हों रहा है मैं आज भी उनकी बात पर अटल हूं।

मै आज सुंधा माता के धर्मशाला की छोड़कर अन्यत्र कार्यक्रमों में भाग नही लेता हूं चाहे समाज बंधु हमारे संबंध में कुछ भी फिजूल चर्चा करे फिल हाल तीन साल से मैने प्रण लिया है कि समाज का कोई भी मरण, परण,मंदिर प्राण प्रतिष्ठा, पारिवारिक भजन संध्या (रात जोगा), सामाजिक सम्मेलन,प्रवासी सम्मेलन, आयोजित कार्यक्रम में शामिल नहीं होऊंगा सुंधा माताजी भी धर्मशाला की स्थिति नही सुधरेगी तब तक सुंधा जी के दरबार में दर्शन करने नही जाऊंगा इतनी कठोर तपस्या की प्रतिज्ञा ली है।

यही अपने बुजुर्गो के सम्मान व स्वाभिमान की बात को स्वीकार किया है।

लिखने में गलती हो तो माफी चाहता हूं।

आपका समाजसेवी

 कालूराम लोहार विश्वकर्मा, 9558716683