Asaduddin Owaisi : कुर्सी है तुम्हारा कोई जनाजा तो नहीं | कुछ कर नहीं सकते, तो उतर क्यों नहीं जाते
Asaduddin Owaisi : कुर्सी है तुम्हारा कोई जनाजा तो नहीं | कुछ कर नहीं सकते, तो उतर क्यों नहीं जाते
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Asaduddin Owaisi : कुर्सी है तुम्हारा कोई जनाजा तो नहीं | कुछ कर नहीं सकते, तो उतर क्यों नहीं जाते