देवेंद्रनगर। नियमों की धज्जियां उड़ाना निजी स्कूलों के लिए फैशन सा बनता जा रहा है। अभिभावकों से मोटी रकम वसूलने के बावजूद बच्चों को वे सुविधाएं नहीं मिल रहीं, जिनके वे हकदार हैं। हालत यह है कि बच्चों को स्कूल से लाने-ले जाने वाली ज्यादातर स्कूल बसों में कंडक्टर नहीं नजर आते हैं, लेकिन इन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। ऐसी बसों के चालक बच्चों से ही कंडक्टर का काम लेते हैं। बच्चे ही बस का दरवाजा खोलते और बंद करते हैं, जिससे हादसों की आशंका बनी रहती है।
देवेंद्रनगर सबडिवीजन के कई निजी स्कूल बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं नजर आते हैं। ज्यादातर निजी स्कूलों की बसें बिना कंडक्टर सड़कों पर दौड़ रही हैं, जबकि नियमानुसार स्कूल बस में कंडक्टर जरूर होना चाहिए, ताकि बच्चों को सुरक्षित चढ़ाया-उतारा जा सके। इसके अलावा कंडक्टर मुख्य दरवाजे पर खड़ा रहे, ताकि कोई बच्चा खुद दरवाजा न खोले।
बहुत सी स्कूल बसें नियमों को ताक पर रख कर सड़कों पर दौड़ती मिल जाती हैं। कुछ बस चालक बच्चों को ही कंडक्टर के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। बच्चे दरवाजे पर खड़े होकर बच्चों को उतारने व चढ़ाने का काम करते हैं। यही नहीं, कई बार चालक चौराहों पर गाड़ी मोड़ने के लिए भी इन्हीं बच्चों को इशारा देने को कहते हैं। कंडक्टर न होने के कारण कई बार बच्चे चलती गाड़ी में दरवाजे पर खड़े हो जाते हैं, जिससे उनके गिरने का खतरा बना रहता है। लोग अपनी गाढ़ी कमाई का एक हिस्सा अपने बच्चों की शिक्षा के लिए निजी स्कूलों को देते हैं। इसके बावजूद स्कूल प्रबंधन की ओर से बच्चों के लिए सुविधाएं सुनिश्चित नहीं की जा रही हैं। कुछ निजी स्कूल तो पूरी तरह से बेपरवाह हो चुके हैं। फिर चाहे मामला बच्चों की सुरक्षा का हो या फिर एनुअल चार्जेज का।
प्रशासन करे सख्ती, तभी सुधरेंगे हालात
कुछ स्कूलों के लिए नियमों की धज्जियां उड़ाना कोई नई बात नहीं है। प्रशासन को इस मामले में सख्ती करनी चाहिए, लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं नजर आ रहा है। अभिभावक इस डर से कुछ नहीं बोलते क्योंकि उन्हें लगता है कि कहीं इससे उनके बच्चे की शिक्षा पर कोई असर न पड़े। कुछ अभिभावकों ने आवाज भी उठाई जो उनको अनसुना कर दिया जाता है।
यातायात कर्मी नहीं करते कार्रवाई
हाईवे पर दिन भर यातायात विभाग के कर्मी नियमों का पालन न करने वाले दोपहिया वाहन चालकों पर कार्रवाई करते तो दिखते हैं, लेकिन बिना कंडक्टर के स्कूल बसें उनके सामने से गुजर जाती हैं और उनको नजर नहीं आता है। यही वजह है कि कभी इन स्कूल बसों के खिलाफ कार्रवाई होते नहीं दिखी।
बच्चों के घर आने तक चिंतित रहते हैं अभिभावक
बिना कंडक्टर चलने वाली स्कूल बसों से बच्चों को स्कूल भेजने के बाद अभिभावक बच्चे के घर आने तक चिंतित रहते हैं। अभिभावक ने बताया कि जिन स्कूलों में हमारे बच्चे पढ़ते हैं, वहां की स्कूल बसों में कंडक्टर नहीं है। सुबह वे बच्चों को बस में चढ़ा कर भेजते हैं, उसके बाद यह चिंता बनी रहती है कि कहीं वह स्कूल पहुंचने पर खुद दरवाजा खोल कर चलती गाड़ी से न उतर जाए। यह डर भी बना रहता है कि कहीं बच्चे गाड़ी से उतरते समय किसी को धक्का न दे दें। हम चाहते हैं कि इस तरह की कोताही बरतने वाले स्कूलों पर कार्रवाई हो, ताकी हमारे बच्चे सुरक्षित स्कूल से घर आ जा सकें।
इनका कहना है
हां यह बात सही है और वीडियो भी सामने आए हैं जो कि बच्चों के साथ स्कूल संचालकों द्वारा घोर लापरवाही की जा रही है जैसे ही मामला मेरे संज्ञान में आया तो मेने तत्काल पन्ना आरटीओ से फोन पर बात कि जिस पर पन्ना आरटीओ ने आश्वासन दिया है कि मैं जांच करवा रहा हूं और जांच में दोषी पाए जाने पर स्कूल बस संचालकों पर कार्यवाही की जाएगी,
गुनौर विधायक शिवदयाल बागरी