नई दिल्ली। कांग्रेस को अलग-थलग कर राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने के पक्षधर तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर (K. Chandrashekar Rao) ने महाराष्ट्र में सक्रियता बढ़ाकर पक्ष-विपक्ष की बेचैनी बढ़ा दी है। भारत राष्ट्र समिति (BRS) के कार्यालय प्रखंड स्तर पर खोल जा रहे हैं

महाराष्ट्र में तेलंगाना मॉडल को लागू करने का दावा कर किसानों को प्रभावित किया जा रहा है। कांग्रेस, शिवसेना, राकांपा एवं भाजपा की सक्रियता वाले महाराष्ट्र में बीआरएस ने पहली बार सदस्यता अभियान चलाकर पांव पसारने का प्रयास किया है। महाराष्ट्र में केसीआर की बढ़ती गतिविधियों की विपरीत प्रतिक्रिया का अंदाजा शिवसेना सांसद संजय राउत के उस बयान से लगाया जा सकता है जिसमें उन्होंने बीआरएस को भाजपा की बी टीम करार दिया है।

BRS पर राहुल गांधी का निशाना

कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने भी बीआरएस का नया अर्थ बनाकर भाजपा की रिश्तेदार पार्टी बताया है। यह बेचैनी इसलिए है, क्योंकि केसीआर ने सभी दलों के असंतुष्टों को एकत्र कर एक नया मंच तैयार किया है।

बाबा साहेब के पौत्र प्रकाश अंबेडकर की पार्टी वंचित बहुजन अघाड़ी (VBA) का सहारा लेकर शरद पवार (Sharad Pawar) की ताकत को तोड़ने में जुटे केसीआर के प्रयासों पर सवाल नहीं है, लेकिन सफलता की राह उतनी सहज भी नहीं है, क्योंकि जिन नेताओं के सहारे केसीआर ने महाराष्ट्र का अखाड़ा तैयार करने का प्रयास किया है, उनमें से अधिकतर किसी न किसी पार्टी के असंतुष्ट हैं। राकांपा से ज्यादा आए और लाए जा रहे हैं।

असफल केसीआर ने अलग किया अपना रास्ता

केसीआर की अकुलाहट राष्ट्रीय स्तर पर छाने की है। इसी उद्देश्य से उन्होंने अपने दल तेलंगाना राष्ट्र समिति का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति किया, ताकि दूसरे राज्यों में उन्हें बाहरी नहीं समझा जाए। प्रारंभ में उन्होंने लालू प्रसाद, नीतीश कुमार, अखिलेश यादव एवं कुमारस्वामी को साथ लाकर कांग्रेस और भाजपा से अलग मोर्चा बनाने का भी प्रयास किया। जब इसमें कामयाब नहीं हुए तो अपना रास्ता अलग कर लिया।

अब तेलंगाना के बाहर पहली बार छाने की कोशिशों में उन्होंने महाराष्ट्र के लिए संचालन समिति बनाकर वंशीधर राव को प्रभारी भी नियुक्त कर दिया है। 15 सदस्यीय समिति एवं छह डिविजनों में ज्यादातर राकांपा से लाए गए पूर्व सांसद-विधायकों को ही जिम्मेवारी दी गई है। अध्यक्ष स्वयं केसीआर होंगे। केसीआर अभी जिस रास्ते पर बढ़ते दिख रहे हैं उसमें माना जा रहा है कि प्रकाश अंबेडकर की पार्टी से बीआरएस का गठबंधन तय है।

VBA ने AIMIM से किया था गठबंधन

दो माह पहले हैदराबाद में अंबेडकर की देश में सबसे ऊंची प्रतिमा लगाकर केसीआर ने इसका संकेत भी कर दिया था। पिछले विधानसभा चुनाव में वीबीए ने एआईएमआईएम से गठबंधन कर 238 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। 4.6 प्रतिशत वोट भी आए थे। लोकसभा चुनाव में वीबीए को 6.97 प्रतिशत वोट मिले थे। प्रकाश स्वयं अकोला में दूसरे नंबर पर रहे उनकी पार्टी 41 सीटों पर तीसरे स्थान पर रही थी।