नई दिल्ली, विपक्ष की ओर से भले ही मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है मगर वह यह भी जानता है कि संख्या बल के लिहाज से इस प्रस्ताव का पराजित होना तय है। लेकिन रोचक पहलू यह भी है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पांच साल पहले 2018 में ही विपक्ष से कहा था कि 2023 में फिर से आपको अविश्वास प्रस्ताव लाने का मौका मिलेगा। संभव है कि सदन में चर्चा के दौरान विपक्ष को फिर से इसकी याद दिलाई जाए।
इंटरनेट मीडिया पर भी मोदी का ये तंज खूब प्रसारित हो रहा है। गौरतलब है कि 2018 में भी विपक्ष सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था। अविश्वास प्रस्ताव की पहल के लिए विपक्षी गठबंधन पर निशाना साधते हुए संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि इसी तरह की पहल 2019 के चुनाव के पहले भी की गई थी और जनता ने विपक्ष को पाठ पढ़ा दिया था। बुधवार को संसद की कार्यवाही शुरू होने के पहले पत्रकारों से जोशी ने कहा कि लोगों को प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा पर पूरा भरोसा है।
जनता विपक्ष को फिर सबक सिखाएगी। वे (विपक्ष) पहले भी ऐसी कोशिश कर चुके हैं। इस बार भी हारेंगे। केंद्रीय विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि सरकार हर स्थिति के लिए तैयार है। हम भी मणिपुर पर चर्चा चाहते हैं। संसद सत्र शुरू होने के पहले विपक्ष ने कहा था कि वह मणिपुर पर चर्चा चाहता है, जब सरकार चर्चा पर सहमत हो गई तो विपक्ष संसद की कार्यवाही ठप करने के लिए अपने मनमुताबिक नियम के तहत चर्चा पर अड़ गया।
जब हम नियमों को लेकर सहमत हो गए तो विपक्ष ने नई मांग रख दी कि प्रधानमंत्री मणिपुर पर बयान दें। यह सब कुल मिलाकर बहानेबाजी है। केवल नाम बदलने से विपक्ष का अतीत नहीं भूलेंगे लोग रक्षा मंत्री राजनाथ ने भी विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि केवल अपने आपको 'इंडिया' कहलाने से लोग विपक्षी दलों के इतिहास को नहीं भूल जाएंगे। राजनाथ ने ट्विटर पर लिखा कि विपक्षी दलों ने अपने दागी अतीत को छिपाने के लिए अपना नाम 'इंडिया' रख लिया है। लोग विपक्ष के दुष्प्रचार को समझ चुके हैं और अगले लोकसभा चुनाव में उसे हार का स्वाद चखाएंगे।