नई दिल्ली,  भूमि संबंधी अभिलेखों के डिजिटलीकरण के लिए केंद्रीय पंचायतराज मंत्रालय ने डिजिटल इंडिया लैंड रिकार्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। भूमि प्रबंधन और भूमि संबंधी विवादों को खत्म करने में महत्वपूर्ण इस कार्यक्रम में उत्कृष्ट काम करने वाले राज्यों के अधिकारियों को मंगलवार को जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सम्मानित किया तो ओडिशा और मध्यप्रदेश के अधिकारी छाए रहे।

नौ राज्यों के सचिवों सहित 68 जिलों के अफसरों को भूमि सम्मान प्रदान किया गया। खास बात है कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्य इस सूची में अपना स्थान नहीं बना सके। राष्ट्रपति ने इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए विश्वास जतया कि भूमि संबंधी दस्तावेजों का डिजिटलीकरण हो जाने से जनता व संबंधित संस्थाओं की ऊर्जा भूमि विवाद निपटाने में नहीं, बल्कि विकास में खर्च होगी।

कई जिलों के अधिकारी हुए सम्मानित

नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में मंगलवार को आयोजित भूमि सम्मान-2023 के समारोह में ओडिशा, मध्यप्रदेश, गुजरात, बिहार, असम, छत्तीसगढ़, झारखंड, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल के नौ सचिवों सहित कुल 68 जिलों की टीम के अधिकारियों को सम्मानित किया गया।

इनमें सर्वाधिक पुरस्कार पाने वाले ओडिशा के 19 जिलों के 57 अधिकारी, मध्यप्रदेश के 15 जिलों के 35 अफसर, त्रिपुरा के सात जिलों के सात अधिकारी, पश्चिम बंगाल के चार जिलों के नौ अधिकारी, झारखंड के नौ जिलों के 24 अफसर, गुजरात के छह जिलों के 18 अधिकारी, छत्तीसगढ़ के दो जिलों के छह अफसर, बिहार के पांच जिलों के 15 और असम के एक जिला के तीन अफसरों को राष्ट्रपति ने केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते और पंचायतीराज राज्यमंत्री कपिल मोरेश्वर पाटिल की उपस्थिति में भूमि सम्मान प्रदान किया।

इस दौरान राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि देश के समग्र विकास के लिए ग्रामीण विकास में तेजी लाना आवश्यक है। ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए भूमि अभिलेखों का आधुनिकीकरण एक बुनियादी आवश्यकता है, क्योंकि अधिकांश ग्रामीण आबादी की आजीविका भूमि संसाधनों पर निर्भर है।

ग्रामीण क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए एक व्यापक एकीकृत भूमि प्रबंधन प्रणाली अत्यंत महत्वपूर्ण है।उन्होंने कहा कि डिजिटलीकरण से पारदर्शिता बढ़ती है। भू-अभिलेखों के आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण से देश के विकास पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ेगा।

भूमि पार्सल पहचान संख्या पर राष्ट्रपति ने जताई खुशी

भू-अभिलेखों के डिजिटलीकरण और विभिन्न सरकारी विभागों के साथ इसके जुड़ाव से कल्याणकारी योजनाओं के उचित कार्यान्वयन में मदद मिलेगी। बाढ़ और आग जैसी आपदाओं के कारण दस्तावेजों के नुकसान की स्थिति में भी यह बहुत मददगार होगा। उन्होंने कहा कि हमारे देश की एक बड़ी आबादी जमीन से जुड़े विवादों में उलझी हुई है और इन मामलों में प्रशासन और न्यायपालिका का काफी समय बर्बाद होता है।

डिजिटलीकरण और सूचना के जुड़ाव के माध्यम से लोगों और संस्थानों की ऊर्जा, जो विवादों को सुलझाने में खर्च होती है, उसका उपयोग विकास के लिए किया जाएगा। राष्ट्रपति ने इस प्रसन्नता जताई कि डिजिटल इंडिया भूमि सूचना प्रबंधन प्रणाली के तहत एक विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या प्रदान की जा रही है, जो आधार कार्ड की तरह उपयोगी हो सकती है।