तेलंगाना के मुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति के प्रमुख के चंद्रशेखर राव (केसीआर) अगले महीने लोकशाहीर अन्नाभाऊ साठे के जन्मस्थान का दौरा करने के लिए तैयार हैं। केसीआर एक अगस्त को उनकी जयंती पर क्रांतिकारी कवि को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।

तीन हफ्ते पहले केसीआर ने लगभग 300 कारों के काफिले में अपने सभी मंत्रियों, सांसदों और विधायकों के साथ सोलापुर और उस्मानाबाद जिलों के पंढरपुर और तुलजापुर का दौरा किया था। हालांकि यह एक धार्मिक यात्रा थी, लेकिन उनका निशाना महाराष्ट्र में अपनी पकड़ को मजबूत करने का था। उस समय राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के एक युवा नेता और सोलापुर से भारतीय जनता पार्टी के छह पूर्व कारपोरेटर्स को बीआरएस में शामिल किया गया था।

इस साल जनवरी से केसीआर अपनी पार्टी की राज्य में उपस्थिति मजबूत करने के उद्देश्य से लगातार महाराष्ट्र का दौरा कर रहे हैं। बीआरएस की राज्य इकाई के अनुसार, इस बार उन्होंने सांगली जिले के वालवा तहसील के वटेगांव को चुना है। यात्रा का कोई और विवरण अभी तक सामने नहीं आया है, हालांकि यह स्पष्ट है कि केसीआर उस दलित समुदाय तक अपनी पकड़ बनाना चाहते हैं, जिससे साठे संबंधित थे।

वालवा तहसील और सांगली जिले का नजदीकी हिस्सा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का गढ़ है। जयंत पाटिल वालवा-इस्लामपुर निर्वाचन क्षेत्र से राकांपा विधायक हैं और उन्होंने तीन दशकों से अधिक समय तक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है।

कौन थे अन्नाभाऊ साठे

साठे रूसी क्रांति और कम्युनिस्ट विचारधारा से बेहद प्रेरित थे। वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के सदस्य थे और देश के उन चुनिंदा लेखकों में शामिल थे जिनकी कविताओं का रूसी में अनुवाद किया गया था। तुकाराम भाऊराव साठे, वे बाद में अन्नाभाऊ साठे के नाम से जाने गए, का जन्म 1 अगस्त 1920 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के वाटेगांव गांव में एक दलित परिवार में हुआ था। वे दलितों के मातंग समुदाय से तालुक्क रखते थे। उन्होंने सांस्कृतिक समूह दलित युवक संघ का गठन किया और श्रमिकों के विरोध, आंदोलनों पर कविताएं लिखना शुरू किया। 1939 में उन्होंने अपना पहला गीत 'स्पेनिश पोवाडा' लिखा। 1943 में उन्होंने अमर शेख और दत्ता गावंकर के साथ मिलकर लाल बावता कला पथक का गठन किया।