नई दिल्ली। बेंगलुरू में हो रही विपक्षी दलों की बैठक को लेकर भाजपा ने तीखा तंज कसा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि वहां बैठक में गठबंधन की राजनीति पर बात होगी या घोटालों की ट्रेनिंग होगी।

स्वार्थ और अवसरवादिता का है यह महागठबंधन

प्रस्तावित महागठबंधन को स्वार्थ और अवसरवादिता का गठबंधन बताते हुए उन्होंने दिल्ली में बाढ़ की स्थिति के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बेंगलुरू जाने पर प्रश्न खड़े किए तो बंगाल पंचायत चुनाव हिंसा पर चुप्पी को लेकर कांग्रेस और वामदलों को भी कठघरे में खड़ा करने का प्रयास किया।

बंगाल हिंसा पर ममता सहित कांग्रेस पर साधा निशाना

रविशंकर प्रसाद ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि दिल्ली में जनता बाढ़ से जूझ रही है। सीएम केजरीवाल ने खुद कुछ किया नहीं और केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हैं। दिल्ली की बाढ़ पर कांग्रेस कुछ नहीं बोलती। अवसरवादी गठबंधन इस हद तक चला गया कि बंगाल में शर्मनाक हिंसा हुई। भाजपा ही नहीं, कांग्रेस और वामदलों के कार्यकर्ता-समर्थक भी मारे गए, लेकिन कांग्रेस क्यों नहीं बोलती? पीएम से लोकतंत्र का हिसाब मांगने वाले सीताराम येचुरी कुछ नहीं बोलते। बंगाल की हिंसा और भ्रष्टाचार पर चुप। तमिलनाडु में एक मंत्री भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार, लेकिन कोई सवाल नहीं करता।

बेंगलुरु में बन रहा है अवसरवादी गठबंधनः रविशंकर

वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि यही अवसरवादी गठबंधन बेंगलुरू में बन रहा है। वहां गठबंधन की राजनीति पर बात होगी या ट्रेनिंग दी जाएगी। फ्लड का मिस मैनेजमेंट कैसे होता है, यह केजरीवाल सरकार से सीखिए। लोकतंत्र का गला कैसे घोंटा जाता है, यह ममता बनर्जी से सुनिए। शिक्षक घोटाला कैसे होता है, ममता से सुनिए। कोयला घोटाला का नया स्वरूप कैसे आता है, यह ममता बनर्जी के सहयोगियों से सीखिए। चारा घोटाला और अलकतरा घोटाला किस तरह किया जाता है यह लालू प्रसाद यादव से सीखिए।

2024 के लिए नहीं है कोई वैकेंसी

उन्होंने कहा कि यह बहुत पीड़ादायक है कि स्वार्थ और अवसरवादिता में विपक्ष ने कुशासन को दरकिनार कर दिया। ऐसे लोग देश का विकल्प बनेंगे? भारत का भविष्य बनेगा? 2024 के लिए कोई वैकेंसी नहीं है। उन्होंने तंज कसा कि 2024 की जो बरात सज रही है, उसमें दूल्हा कौन है? बिना दूल्हा के बरात जा रही है।

क्या बालाकोट जैसी घटना के लिए गठबंधन की बैठक करेंगे?

रविशंकर प्रसाद ने महागठबंधन की मिलीजुली सरकार की कार्यशैली को भी काल्पनिक अंदाज में समझाने का प्रयास किया। कहा कि भगवान न करे यदि बालाकोट जैसी स्थिति दोबारा करने की जरूरत हुई तो क्या गठबंधन की बैठक करेंगे? नीतीश कुमार से लालू से पूछ लें, ममता बनर्जी की राय ले लें। उन्होंने कहा कि यह अवसरवादी बैठक सत्तालोलुपता के सिवाय कुछ नहीं है। यह समझदारी और समन्वय नहीं, गिव एंड टेक है।