हैदराबाद,  भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) अध्यक्ष और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने सोमवार को कहा कि यदि संसद में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पेश किया जाता है तो उनकी पार्टी इसका विरोध करेगी और इसके खिलाफ समान विचारधारा वाले दलों को भी एकजुट करेगी। उन्होंने कहा कि बीआरएस केंद्र सरकार के उन फैसलों का विरोध कर रही है जो देश के लोगों की एकता के लिए हानिकारक हैं।

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केसीआर ने कहा कि बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पहले से ही देश के विकास को नजरअंदाज करते हुए अलग-अलग तरीकों से लोगों के बीच खाई पैदा कर रही है और फिर से यूसीसी के नाम पर देश को बांटने का प्लान बना रही है।

यूसीसी बिल को लेकर लोग भ्रमित- केसीआर

केसीआर ने कहा कि यह देखते हुए कि भारत की 'विविधता में एकता' दुनिया के लिए एक आदर्श है। बीआरएस भारत की विविधता को बचाने के लिए यूसीसी बिल को खारिज करती है। उन्होंने दावा किया कि देश में हिंदू समेत अपनी अनूठी संस्कृति, विभिन्न जातियों और लोगों वाले आदिवासी 'यूसीसी बिल' को लेकर भ्रम में हैं और चिंतित हैं।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के अध्यक्ष खालिद सैफुल्लाह रहमानी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को मुख्यमंत्री से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल में एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन औवेसी भी शामिल थे। विज्ञप्ति में कहा गया है कि बोर्ड ने केसीआर से "यूसीसी बिल" का विरोध करने का अनुरोध किया।

विभाजनकारी राजनीति को बढ़ावा दे रही बीजेपी- केसीआर

इस अवसर पर बोलते हुए केसीआर ने कहा कि भाजपा सरकार पिछले नौ वर्षों से देश के विकास और लोगों के कल्याण की अनदेखी कर रही है। यूसीसी बिल के माध्यम से बीजेपी ने राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के लिए समुदायों के बीच झड़पें कराकर विभाजनकारी राजनीति को बढ़ावा देकर लोगों को भड़काने की साजिश रची है।

विज्ञप्ति में उनके हवाले से कहा गया कि यह मुख्य कारण है कि हम यूसीसी विधेयक का विरोध कर रहे हैं जिसे भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार जल्द ही पेश करेगी।

केसीआर ने स्पष्ट किया कि बीआरएस आगामी संसद सत्र में यूसीसी बिल का पुरजोर तरीके से विरोध करेगी। उन्होंने कहा कि वे सभी समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों को एकजुट करके यूसीसी बिल का विरोध करेंगे। उन्होंने बीआरएस संसदीय दल के नेताओं के केशव राव और नामा नागेश्वर राव को इस मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में केंद्र के खिलाफ लड़ने के लिए एक कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि एआईएमपीएलबी ने यूसीसी विधेयक का विरोध करने के लिए केसीआर को धन्यवाद दिया।

बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए ओवैसी ने कहा कि रहमानी ने मुख्यमंत्री को विधि आयोग में बोर्ड के प्रतिनिधित्व के बारे में बताया और बताया कि कैसे भाजपा यूसीसी के नाम पर देश के बहुलवाद और धर्मनिरपेक्षता को कमजोर करना चाहती है।

उन्होंने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने केसीआर से यह भी कहा कि यह केवल मुसलमानों का ही नहीं बल्कि ईसाइयों, आदिवासियों और हिंदुओं का भी मुद्दा है। उन्होंने कहा कि अगर यूसीसी लागू होता है तो हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, हिंदू विवाह अधिनियम और अन्य कानून अस्तित्व में नहीं रहेंगे। उन्होंने बहुलवाद को देश की खूबसूरती बताते हुए आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बहुलवादी सोच पसंद नहीं है।

ओवैसी ने सवाल पूछा कि अगर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह नागा समुदाय से कहते हैं कि विधि आयोग आदिवासियों को यूसीसी के दायरे से छूट देगा तो छत्तीसगढ़ और तेलंगाना जैसे राज्यों में आदिवासी समूहों का क्या होगा।

हैदराबाद के सांसद ने अपने दोस्त और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी से अपील की कि उनकी पार्टी वाईएसआरसीपी यूसीसी का विरोध करे। उन्होंने कहा कि बैठक में अल्पसंख्यक कल्याण, पुराने शहर हैदराबाद में मेट्रो रेल के विस्तार और नए सचिवालय परिसर में एक मस्जिद और अन्य धार्मिक स्थलों के निर्माण सहित अन्य मुद्दे भी उठे।

औवेसी ने कहा कि गाचीबोवली में एक इस्लामिक सेंटर पर भी काम शुरू होगा। एआईएमआईएम प्रमुख ने दावा किया कि आदिवासी, सभी संप्रदायों के ईसाई और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) भी यूसीसी का विरोध कर रहे हैं।