कोलकाता : विदेश मंत्री डा एस जयशंकर ने भारत के साथ संबंधों में तल्खी को लेकर पड़ोसी चीन को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने शुक्रवार को दो टूक कहा है कि भारत और चीन के मौजूदा रिश्तों के लिए चीन जिम्मेदार है। द्विपक्षीय संबंधों में गिरावट हमने नहीं, बल्कि चीन ने पैदा की है। उन्होंने साफ कहा कि ताली एक हाथ से नहीं, बल्कि दोनों हाथों से बजती है। अगर रिश्ते सुधारने हैं तो दोनों ओर से कोशिशें करना जरूरी है।
विदेश मंत्री ने यहां 'नया भारत और विश्व' विषय पर आयोजित श्यामा प्रसाद व्याख्यान के मौके पर ये बातें कहीं। जब उनसे पूछा गया कि क्या दो एशियाई दिग्गजों के बीच कामकाजी संबंध हो सकते हैं, तो उन्होंने स्पष्ट कहा, किसी रिश्ते को चलाने के लिए दोतरफा प्रयास जरूरी होता है। चीन को भी व्यावहारिक रिश्ते में विश्वास होना चाहिए।
जयशंकर ने कहा कि अगर बेहतर कामकाजी संबंध बनाए रखना है तो चीन को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 1993 और 1996 में हुए समझौतों का पालन करना होगा। जयशंकर ने कहा कि भारत हमेशा पड़ोसियों से मधुर संबंध चाहता है और यह कोशिश हमने हर स्तर पर की है। उन्होंने कहा कि चीन ने हमारी संप्रभुता का उल्लंघन किया है। लेकिन हमने हर बार उनकी इस हरकत का उचित जवाब दिया है।
जम्मू कश्मीर विवाद में पश्चिमी ताकतों ने दखल देने की कोशिश की
उन्होंने भारत और पाकिस्तान के संबंधों पर भी बात की और कहा कि जम्मू कश्मीर विवाद में पश्चिमी ताकतों ने दखल देने की कोशिश की। यही वजह है कि हमें हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को क्यों मजबूत किया जाना चाहिए। हमने जम्मू कश्मीर में राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ा दी है। हमारे पश्चिमी सहयोगी भी अब इस स्थिति को समझ रहे हैं।
पाकिस्तान को लेकर अब हमारा स्पष्ट विजन
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को लेकर सरदार पटेल और श्यामा प्रसाद मुखर्जी का क्लियर विजन था। मुखर्जी ने कहा था कि जब पाकिस्तान हमला करता है, तो भारत को दोषी ठहराया जाता है। 2023 में हमें डिप्लोमेसी को लेकर मुखर्जी के विचारों को अपनाना चाहिए। विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान की सीमापार की हरकतों का सामना करने के लिए पहले हमारी नीतियां उतनी कारगर नहीं थीं। लेकिन अब सीमापार आतंकवाद को लेकर हमारा रुख स्पष्ट है। उड़ी और बालाकोट में हमारे ऑपरेशन से यह सिद्ध होता है।
विदेश मंत्री ने आगे कहा कि आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और एक वैश्विक शक्ति के तौर पर पूरे विश्व में सम्मानित है। हमारा रुख इस मामले में बिल्कुल साफ है कि देश की संप्रभुता और सामरिक स्थिति से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेंगे। हमारा प्रभाव वैश्विक स्तर पर बढ़ रहा है।
रूस के साथ भारत के संबंध अधिक स्थिर
उन्होंने आगे कहा कि रूस के साथ हमारे संबंध उथल-पुथल के बीच भी स्थिर बने हुए हैं। अन्य देशों से संबंधों की तुलना में भारत और रूस के संबंध अधिक स्थिर हैं। भारत में रूस को लेकर लोगों में अलग ही भावना है। रूस और अमेरिका के साथ भारत के मजबूत संबंध कोई बाधा नहीं है। ये दोनों देश हमें यह नहीं बता सकते कि हमें जापान या किसी और देश का दोस्त बनना है या नहीं।