पटना : लोकसभा चुनाव के पहले राजनीति में प्रयोग का दौर शुरू हो चुका है। कहीं विपक्षी महाएकता के प्रयास हो रहे हैं तो कहीं बिछड़ों को फिर से गले लगाने की कवायद। हाशिये पर पड़े राजनीतिक दल आशियाने की तलाश में हैं।
बिहार में निषाद और सहनी की राजनीति करने वाली मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी भी भाजपा के कुनबे में अपना ठिकाना तलाशने में जुटी है। वीआईपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मंत्री मुकेश सहनी बीते कुछ महीनों से लगातार भाजपा से अपने बिगड़े संबंधों को प्रगाढ़ बनाने की कोशिश में जुटे हैं। भाजपा का रुख भी सहनी के प्रति नरम पड़ा है।
BJP ने दी सुरक्षा, सहनी ने छोड़ दिया नीतीश का बंगला
भाजपा ने सहनी की जान पर खतरा बताकर उन्हें वाई प्लस सुरक्षा देकर अपनी मंशा भी जाहिर कर दी। इसके बाद मुकेश ने नीतीश सरकार के आवंटित बंगले को छोड़ अपना इशारा भी दे दिया कि वे भाजपा में शामिल होने को तैयार हैं।
अब सहनी ने एलान किया है कि वे अयोध्या की हनुमानगढ़ी में पार्टी के कार्यकर्ताओं का सम्मेलन करेंगे। दो जुलाई को बुलाए गए कार्यकर्ता सम्मेलन के बहाने सहनी भाजपा में अपनी दावेदारी को मजबूत करना चाहते हैं।
असल में उत्तर प्रदेश में भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद जो अभी उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री भी हैं, वे लगातार बयान दे रहे हैं कि लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन होगा या नहीं इसका फैसला जनता करेगी।
संजय का विकल्प बनने की तैयारी में सहनी
संजय निषाद के इस बयान को सहनी अपने हित में देख रहे हैं। हनुमानगढ़ी के कार्यकर्ता सम्मेलन के बहाने सहनी यूपी में भाजपा को यह दिखाना चाहते हैं कि वे संजय निषाद का विकल्प बन सकते हैं। बिहार के साथ उत्तर प्रदेश में भी निषाद और सहनी वोट उनके साथ खड़े हैं। अगर भाजपा सहनी से समझौता करती है तो चुनाव में उसे ही निषाद और सहनी का वोट दिला सकते हैं।
अपने सम्मेलन के बहाने सहनी ताकत का प्रदर्शन तो करेंगे। साथ ही बॉल भाजपा के पाले भी डाल देंगे कि भाजपा अब तय कर ले कि संजय निषाद या फिर मुकेश सहनी। जाहिर है निर्णय भाजपा का करना है मुकेश सहनी बनाम संजय निषाद में कौन उसके साथ चलेगा।