नई दिल्ली,  हिंदुस्तान की सुरक्षा अब चाक-चौबंद होगी। दुश्मन थर-थर कापेंगे। पाकिस्तान और चीन की सीमाओं पर सुरक्षा व्यवस्था और भी ज्यादा दुरुस्त होने वाली है, परिंदा भी बिना इजाजत के उड़ान नहीं भरेगा और तो और भूलकर भी यह देश अब भारत को छेड़ने की कोशिश भी नहीं कर सकते हैं, क्योंकि इन सभी को पुख्ता जवाब देने के लिए हिंदुस्तान अपनी तीसरी आंख की तैनाती तीन प्रमुख केंद्रों पर करने वाला है। हम बात कर रहे हैं किलर ड्रोन की। जिसे प्रीडेटर्स या फिर एमक्यू-9 रीपर के नाम से भी जाना जाता है।

कहर बरपाएगा किलर

एमक्यू-9बी ड्रोन, एमक्यू-9 रीपर का अपडेट वर्जन है, जिसका उपयोग हेलफायर मिसाइल के एक संशोधित स्वरूप का इस्तेमाल करने में किया जाता है। एमक्यू-9बी के दो वेरिएंट हैं। जिसमें स्काई गार्डियन और सी गार्डियन शामिल हैं।

कहां होगी 'प्रीडेटर' की तैनाती?

भारतीय डिफेंस फोर्स पाकिस्तान और चीन से लगी सीमाओं और विशाल समुद्री क्षेत्र सहित सभी क्षेत्रों की निगरानी के लिए देशभर के तीन प्रमुख केंद्रों पर 31 प्रीडेटर ड्रोन तैनात करेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिकी यात्रा के बीच दोनों देशों ने भारतीय सेनाओं द्वारा 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने की योजना का एलान किया।

वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों के मुताबिक, इन ड्रोनों को तीन प्रमुख केंद्रों पर तैनात करने की योजना है, जिनमें से एक उत्तर या उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में होगा, जबकि दूसरा पूर्वोत्तर क्षेत्र में होगा जहां से वे पूरे क्षेत्र की निगरानी करेगा।

इसके अतिरिक्त एक हब आईएनएस राजली में बनाया जाएगा जहां से सेनाएं पहले से ही चीन के साथ गतिरोध के शुरुआती चरण के दौरान लीज पर लिए गए दो प्रीडेटर ड्रोन का संचालन कर रही हैं। तीनों सेनाएं इन ड्रोनों को अपने ठिकानों से भी संचालित करेंगी, जो मानव रहित हवाई वाहनों को लॉन्च करने और लैंडिंग करने में सक्षम बनाएंगी।

पायलटों को किया जाएगा प्रशिक्षित

लीज पर लिए गए ड्रोनों का संचालन जनरल एटॉमिक्स के प्रतिनिधियों द्वारा किया जाता है। हालांकि, अब तीनों सेनाओं के भारतीय पायलटों को ड्रोन चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। पायलटों की ट्रेनिंग भारत के साथ-साथ अमेरिका में भी होगी। दरअसल, तीनों सेनाओं द्वारा संयुक्त रूप से ड्रोनों का संचालन किया जाएगा।

रक्षा अधिग्रहण परिषद में इस संबंध में प्रस्ताव भी त्रि-स्तरीय मुख्यालय द्वारा भेजा गया था। ड्रोन की संख्या जानने के लिए तीनों सेनाओं के अधिकारियों द्वारा एक विस्तृत वैज्ञानिक विश्लेषण किया गया।

ड्रोन समझौता

भारत और अमेरिका ने 31 'हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस' (HALE) ड्रोन के लिए तीन अरब डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें से नौसेना को 15 'सीगार्जियन' ड्रोन मिलेंगे, जबकि थलसेना और वायुसेना को आठ-आठ 'स्काईगार्जियन' प्राप्त होंगे।

बता दें कि दोनों देशों के मजबूत रिश्तों झलक इसी समझौते में दिखाई दे रही है, क्योंकि अमेरिका ने अभी तक दुनिया के किसी भी देश के साथ यह ड्रोन समझौता नहीं किया है। भारत पहला ऐसा देश है जिसे एमक्यू-9बी मिलेगा।

भारत अपने दो प्रतिद्वंद्वियों पाकिस्तान और चीन के साथ विशाल समुद्री और भूमि सीमाएं साझा करता है और अपने राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए उनकी गतिविधियों की निरंतर निगरानी की आवश्यकता है। ऐसे में किलर ड्रोन सीमाओं की बारीकी से निगरानी कर सकेंगे।

ड्रोन की खासियत?

प्रीडेटर ड्रोन, जिसे एमक्यू-9 रीपर भी कहा जाता है। यह एक बार में 36 घंटे तक उड़ान भरने में सक्षम है और इसका इस्तेमाल निगरानी के लिए किया जा सकता है।