नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की पत्नी जिल बाइडन को मेड इन इंडिया हीरे का उपहार देने से जेम्स और ज्वेलरी निर्यात को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। अमेरिका हीरे की ज्वेलरी का सबसे बड़ा खरीदार देश है।
प्रधानमंत्री ने जिल बाइडन को 7.5 कैरेट का हीरा उपहार स्वरूप दिया, जो पूरी से भारत के लैब में विकसित किया गया है। इस हीरे को लैब ग्रोन डायमंड (LGD) के नाम से जाना जाता है।
एलजीडी उद्योग को मिलेगा प्रोत्साहन
जेम्स व ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के चेयरमैन विपुल शाह ने बताया कि प्रधानमंत्री की तरफ से दिए गए इस उपहार से निश्चित रूप से भारतीय जेम्स व ज्वेलरी खासकर एलजीडी उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा।
उन्होंने बताया कि भारतीय जेम्स व ज्वेलरी उद्योग एलजीडी कारोबार को सफल बनाने में पहले जुटा हैं। एलजीडी को ग्रीन एनर्जी के द्वारा बनाया जा सकता है और इसके निर्माण में खान से निकाले जाने वाले हीरे की तुलना में कार्बन उतसर्जन भी कम होता है।
सरकार के अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2020 में वैश्विक स्तर पर एलजीडी का कारोबार एक अरब डालर का था, जो वर्ष 2025 तक पांच अरब डालर तो वर्ष 2035 तक 15 अरब डालर तक का हो सकता है। इसलिए सरकार चालू वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में एलजीडी के विकास के लिए इससे जुड़े रिसर्च पर 242 करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा की थी। ताकि भारत एलजीडी का वैश्विक हब बनकर उभर सके।
रफ हीरे का आयात करता है भारत
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल के मुताबिक, आईआईटी मद्रास को एलजीडी पर रिसर्च के लिए 95 करोड़ के आवंटन की मंजूरी दी जा चुकी है। भारत एलजीडी के लिए सीड रिसर्च के जरिए एलजीडी की लागत को कम करना चाहता है। दुनिया के 90 प्रतिशत डायमंड की कटिंग और पालिशिंग का काम भारत में होता है। भारत पहले रफ हीरे का आयात करता है और फिर उसकी कटिंग व पालिशिंग कर उसका निर्यात करता है।
सरकार चाहती है कि देश में ही बड़ी मात्रा में एलजीडी का निर्माण शुरू करने से रफ हीरे का आयात नहीं करना होगा। क्योंकि एलजीडी व खान के हीरे में फर्क करना मुश्किल होता है। एलजीडी का सीड ग्रेफाइड का होता है जिसे काफी उच्च तापमान पर हीरे का रूप दिया जाता है। एलजीडी का उपयोग कंप्यूटर चिप्स, उपग्रहों, 5जी नेटवर्कों में होता है।