नई दिल्ली। समान नागरिक संहिता पर सामान्यतया कांग्रेस से ज्यादा दूसरे क्षेत्रीय दलों का रुख अधिक त्वरित और आक्रामक होता है। लेकिन गुरुवार को जिस तरह सबसे पहले कांग्रेस मैदान में उतरी और विधि आयोग द्वारा जनता से विचार मांगने पर सवाल खड़ा किया उसने यह संकेत दे दिया है कि कर्नाटक जीत के बाद अब पार्टी साफ्ट हिंदुत्व और अल्पसंख्यक दोनों को साधने की तैयारी में है।

विधि आयोग की पहल का कांग्रेस ने किया विरोध

यह इतिहास है कि पूरे देश में फैले अधिकांश क्षेत्रीय दलों का विकास कांग्रेस के ही परंपरागत वोट पर हुआ है। इसमें बड़ी भूमिका अल्पसंख्यक वोट की रही जिसे यह अहसास होने लगा था कि राज्यों में क्षेत्रीय दल ही उनका हित साध सकते हैं। लंबे अरसे बाद कर्नाटक में स्थिति बदली जब लंबे समय से बड़ी संख्या में जदएस के साथ खड़े अल्पसंख्यकों ने भी कांग्रेस को वोट दिया। ऐसे में जब बुधवार को विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता पर हलचल बढ़ाई तो कांग्रेस सबसे पहले सतर्क हो गई और इस पहल का विरोध किया।

समान नागरिक संहिता पर SC से मिल चुकी है हरी झंडी

23 जून को पटना में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक से पहले कांग्रेस का यह रुख राजनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। यह भी ध्यान देने की बात है कि समान नागरिक संहिता पर सुप्रीम कोर्ट भी सरकार को आगे बढ़ने के लिए कह चुका है और संविधान के नीति निर्देशक तत्व में भी इसका उल्लेख है। यही कारण है कि पिछले वर्षों में कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर बीच का रास्ता अपनाती रही है। वह कानून में स्पष्टता न होने की बात करती रही है। अब क्षेत्रीय दलों की अपेक्षा ज्यादा मुखर है।

कांग्रेस नहीं छोड़ना चाहती साफ्ट हिंदुत्व का दामन

वहीं, दूसरी ओर से साफ्ट हिंदुत्व का दामन भी नहीं छोड़ना चाहती है। दो दिन पहले ही मध्य प्रदेश में कांग्रेस महासचिव की रैली में भी बजरंग बली और गदा की धूम थी। हालांकि, तीन तलाक को रद किए जाने, हर धर्म की लड़कियों के लिए शादी की एक समान आयु तय करने जैसे कदम के बाद उत्तराधिकार, संपत्ति कानून, गोद लेने जैसे नियम ही बाकी रह गए हैं जहां बदलाव होने हैं, लेकिन इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है कि अनुच्छेद 370 को रद करने के बाद समान नागरिक संहिता ही भाजपा के पुराने एजेंडा का अकेला ऐसा मुद्दा है जो बाकी है।

भाजपा चाहेगी कि 2024 से पहले उसे भी अमली जामा पहनाया जाए। जबकि क्षेत्रीय दलों के साथ चल रही परोक्ष खींचतान में कांग्रेस चाहेगी कि अल्पसंख्यकों के बीच खोया उनका पुराना वोट बैंक वापस आए। कांग्रेस की सक्रियता क्षेत्रीय दलों की धड़कनें बढाए तो आश्चर्य नहीं।