बदरुद्दीन और सुरैया ने दिया था राष्ट्र ध्वज को रूप

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कृष्णा हाइट्स - कोटा

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1936 बेच के आइसीएस अफसर बदरुद्दीन तैयबजी पर पहले रिपब्लिक दे समारोह की जिम्मेदारी थी! उनकी बेटी लैला तैयब जी केहती है की उन्हें फ़ख्र होता है की हमारे पिता की दरखरेख मे 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम हुवे थे! लैला तैयब जी " दस्तकार " नाम के संस्था की चेर पर्सन है.

बदरुद्दीन तैयब जी संविधान संस्था के मेम्बर सीक्रेटरी थे!इसी सभा को राष्ट्र ध्वज पर अंतिम फैसला लेना था! उन्हींकी सालकह पर तिरंगे में अशोकचक्र को जगह मिली! उन्होंने जब ये सलाह संविधान सभा में दी तो उनसे एक नमूना लेकर आने को कहा गया! तब उनकी पत्नी सुरैया जो चित्रकार थी उन्होंने कागज़ पे तिरंगा बनाया और उसमे तिरंगे को रखा! उसके बाद करनॉट प्लेस के रीगल बिल्डिंग में एस सी शर्मा टेलर्स से जंडा बनवाया गया! जब तैयब जी ने संविधान सभा में तिरंगा दिखाया तो उसे देश के नए राष्ट्र ध्वज के रुपमे मंजूरी दे दी गई!

जगमग राजधानी : उस दिन दिल्ली का दिल कॉर्नट पेलेस बेहतरीन सजावट से चमक रहा था! सारी दिल्ली जगमगा रही थी! देश के पहले राष्ट्रपति के रुपमे राजेंद्र प्रसाद शपथ लेने घोड़ाबग्गी में आये थे जिनको 31 तोपों की सलामी दी गई थी!

विवेक शुक्ला की वॉल से.