नई दिल्ली। सरकार ने वन नेशन वन आंगनबाड़ी की परियोजना लागू की है, जिसमें एक जगह से दूसरी जगह चले गए लोगों को पहले से लिए जा रहे आंगनबाड़ी के लाभ चालू रहते हैं। अभी तक वन नेशन वन आंगनबाड़ी का 57 हजार विस्थापित लाभ ले रहे हैं। इसके अलावा टेक होम राशन परियोजना लागू की गई है, जिसमें लाभार्थी को मोबाइल पर संदेश जाता है कि आपने अपना राशन ले लिया है कि नहीं। यह सिस्टम इसी साल मई में शुरू किया गया है।
क्या रही है मोदी सरकारी की प्राथमिकता?
अब तक 75 लाख लोगों को टेक होम राशन का संदेश भेजा जा चुका है। मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा किए गए कार्यों का ब्योरा दिया गया। बताया गया कि सरकार ने महिलाओं को सुरक्षित, स्वस्थ, सशक्त और सक्षम बनाने के लिए क्या-क्या किया। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बताया कि स्वस्थ, सक्षम और सुरक्षित नारी का लक्ष्य मोदी सरकार की प्राथमिकता रही है।
आंगनबाड़ियों में की गई है शौचालय की व्यवस्था
मंत्रालय ने बताया कि आंगनबाड़ियां बहुत साल पहले शुरू हो चुकी थीं, लेकिन उनमें शौचालय की व्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया गया था। इस सरकार ने नौ वर्षों में 70 हजार आंगनबाड़ियों में शौचालय के निर्माण कराए और 20 हजार में पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराई। आंगनबाडि़यों में पोषण ट्रैकर के जरिये लार्भार्थियों को दिए जाने वाले पोषाहार की निगरानी की जाती है।
आठ शहरों में सेफ सिटी परियोजना का हुआ शुरुआत
मिशन शक्ति के तहत अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई इन आठ शहरों में सेफ सिटी परियोजना शुरू हुई। इसके तहत बसों में और सार्वजनिक स्थलों पर सीसीटीवी लगाना शामिल है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 30 राज्यों से कहा कि वे अपने यहां फारेंसिक साइंस लैब को सशक्त करें।
केंद्र ने स्थापित किए 1023 फास्ट ट्रैक कोर्ट
महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराधों के जल्दी निपटारे के लिए सरकार ने 1023 फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित किए। इसमें 418 विशेष पाक्सो कोर्ट भी शामिल हैं। निर्भया फंड से नौ वर्षों में 1200 करोड़ की लागत की 42 परियोजनाएं शुरू हुई हैं।
महिलाओं की तस्करी रोकने के लिए उठाए गए हैं कई कदम
मानव तस्करी विशेष कर महिलाओं की तस्करी रोकने के लिए भी कदम उठाए गए हैं। सरकार ने हर जिले में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट स्थापित करने का संकल्प लिया था। इस समय 788 जिलों में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट काम कर रही हैं। 13,550 पुलिस थानों में हेल्प डेस्क स्थापित हो चुके हैं।