नई दिल्ली, विभिन्न बोर्डों के छात्रों के प्रदर्शन में बड़ा अंतर, उत्तीर्ण प्रतिशत में महत्वपूर्ण अंतर और मानक के संदर्भ में छात्रों के लिए समान अवसर नहीं होना उन चुनौतियों में शामिल हैं, जिन्हें शिक्षा मंत्रालय ने 10वीं और 12वीं कक्षा के परीक्षा परिणामों के आकलन में चिह्नित किया है।
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शीर्ष पांच बोर्डों में पढ़ते हैं 50 प्रतिशत छात्र
मूल्यांकन में यह भी बताया गया है कि शीर्ष पांच बोर्डों (उत्तर प्रदेश, सीबीएसई, महाराष्ट्र, बिहार और बंगाल) में लगभग 50 प्रतिशत छात्र शामिल हैं और शेष 50 प्रतिशत छात्र देशभर के 55 बोर्डों में नामांकित हैं। अध्ययन में कहा गया है कि प्रदर्शन में अंतर बोर्डों द्वारा अपनाए गए विभिन्न पैटर्न के कारण हो सकता है और एक राज्य में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक बोर्डों के एकल बोर्ड में विलय से छात्रों को मदद मिल सकती है।
मूल्यांकन में यह भी पाया गया कि बोर्ड द्वारा अपनाए जाने वाले अलग-अलग पाठ्यक्रम ने राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षाओं के लिए बाधाएं पैदा की हैं। स्कूली शिक्षा सचिव संजय कुमार के अनुसार, विभिन्न राज्यों के उत्तीर्ण प्रतिशत में अंतर के कारण शिक्षा मंत्रालय अब देश के विभिन्न राज्यों के सभी 60 स्कूली बोर्डों के लिए मूल्यांकन पैटर्न को मानकीकृत करने पर विचार कर रहा है।
वर्तमान में भारत में तीन केंद्रीय बोर्ड हैं -
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई), भारतीय स्कूल प्रमाणपत्र परीक्षा परिषद (सीआइएससीई) और राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआइओएस)। इनके अलावा विभिन्न राज्यों के अपने राज्य बोर्ड हैं, जिससे स्कूली बोर्डों की कुल संख्या 60 हो गई है।
अध्ययन रिपोर्ट बताती है कि उच्च माध्यमिक परीक्षाओं में मेघालय का उत्तीर्ण प्रतिशत 57 है तो केरल का उत्तीर्ण प्रतिशत 99.85 प्रतिशत है। स्कूल छोड़ने वाले छात्रों में 85 प्रतिशत 11 राज्यों के हैं। ये राज्य हैं उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, राजस्थान, कर्नाटक, असम, बंगाल, हरियाणा और छत्तीसगढ़।
रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य बोर्डों में उच्च विफलता दर के संभावित कारणों में प्रति स्कूल शिक्षक और प्रशिक्षित शिक्षकों की कम संख्या शामिल है। विभिन्न राज्य बोर्डों के परिणामों में भिन्नता को समझने के लिए आंध्र प्रदेश, असम, कर्नाटक, केरल, मणिपुर, ओडिशा, बंगाल और तेलंगाना के राज्य बोर्डों के कक्षा 10 और 12 के परिणामों का विश्लेषण किया गया।