हिंदी सिनेमा में बहुत कम कलाकार ऐसे हैं, जिन्होंने अपने किरदारों से अपने अभिनय को परिभाषित किया है। उनके किरदारों की पहचान उनके नाम से आगे चलती है। पंकज कपूर ऐसे ही कलाकारों में शामिल हैं।
ओम धगाल - पूर्व प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य भाजपा युवा मोर्चा
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परदा छोटा हो या बड़ा, पंकज ने हर जगह अपनी छाप छोड़ी। करमचंद जासूस, मुंगेरीलाल के हसीन सपने, ऑफिस ऑफिस हो या फिर जाने भी दो यारों, मंडी मोहन जोशी हाजिर हो, तमस, रोजा और पिछली फिल्म भीड़... पंकज कपूर ने हर किरदार में जान फूंक दी।
29 मई 1954 को पंजाब में जन्मे पंकज को बचपन से एक्टिंग का शौक था। इसलिए उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से एक्टिंग सीखी और एक्टर बनने मायानगरी पहुंच गए। उन्होंने साल 1982 में श्याम बेनेगल की फिल्म 'आरोहण' से डेब्यू किया था।
पंकज कपूर ने अपने 4 दशक के करियर में कई यादगार किरदार निभाए हैं। आइए, आपको उनकी 10 बेस्ट परफॉर्मेंसेज के बारे में बताते हैं।
जब पंकज कपूर को बनना पड़ा 'बेइमान'!
1983 में आई फिल्म 'जाने भी दो यारों' को कुंदन शाह ने डायरेक्ट किया था। लीड रोल में थे नसीरुद्दीन शाह, नीना गुप्ता, ओम पुरी, सतीश शाह, सतीश कौशिक और पंकज कपूर। फिल्म में एक्टर ने एक बेइमान बिल्डर तरनेजा का किरदार निभाया था, जो एक ऑफिसर का खून कर देता है। पंकज ने इस किरदार को बहुत अच्छे से पर्दे पर उतारा था
किस फिल्म में डॉक्टर बने थे पंकज कपूर?
नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के प्रोडक्शन में बनी फिल्म 'एक डॉक्टर की मौत' में पंकज कपूर ने डॉ. दीपांकर रॉय का किरदार निभाया था। यह फिल्म डॉ. सुभाष मुखोपाध्याय के जीवन पर आधारित थी। जिन्हें इंटरनेशनल मेडिकल कम्युनिटी में वह सम्मान नहीं मिला था, जिसके वह हकदार थे। पंकज ने एक बार फिर साबित कर दिया था कि उनमें एक्टिंग का कीड़ा है। क्रिटिक्स से लेकर फैंस तक ने उनकी एक्टिंग की खूब तारीफ की थी
पंकज कपूर का सबसे बेस्ट परफॉर्मेंस कौन सी है?
जब भी बात पंकज कपूर की बेस्ट परफॉर्मेंस की आएगी, तब उनके मुसद्दीलाल के किरदार को जरूर याद किया जाएगा। उन्होंने टीवी शो 'ऑफिस ऑफिस' में अपने किरदार से ऑडियंस को हंसा-हंसाकर लोट-पोट कर दिया था। फनी शो में पंकज ने अपने सेंस ऑफ ह्यूमर की वजह से खूब वाहवाही बटोरी थी। 2001 में आए इस शो को 2020 में लॉकडाउन में फिर से टेलीकास्ट किया गया था।
किस फिल्म के लिए पंकज कपूर को मिला नेशनल अवॉर्ड?
विशाल भारद्वाज की निर्देशित फिल्म 'मकबूल' (2003) में पंकज कपूर ने तब्बू के उम्रदराज पति 'जहांगीर खान' का किरदार निभाकर खूब तारीफें बटोरीं। अपनी उम्दा एक्टिंग के लिए पंकज ने बेस्ट सपोर्टिंग रोल के लिए नेशनल अवॉर्ड जीता। इसी किरदार के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड (बेस्ट एक्टर) भी मिला।
जब पंडित का रोल निभाकर पंकज ने बटोरी प्रशंसा
फिल्म 'धर्म' में पंकज कपूर ने पुजारी का किरदार निभाया था। वह पंडित चतुर्वेदी के रोल में दिखाई दिए थे। इसमें पंकज त्रिपाठी और सुप्रिया पाठक भी लीड रोल में थीं। पुजारी बने पंकज को इस फिल्म के लिए काफी प्रशंसा मिली थी
बेटे शाहिद के साथ शेयर किया स्क्रीन स्पेस
साल 2015 में आई फिल्म 'शानदार' में पंकज कपूर अपने बेटे शाहिद कपूर और बेटी सना कपूर के साथ नजर आए थे। फिल्म में वह दोनों के रील लाइफ पिता बिपिन अरोड़ा बने थे। हमेशा की तरह उनके इस किरदार को भी खूह सराहा गया।
छतरी के प्यार में पागल हो गए थे पंकज कपूर
विशाल भारद्वाज की निर्देशित शॉर्ट फिल्म 'द ब्लू अंब्रेला' (2005) में पंकज कपूर ने नंदकिशोर खतरी की भूमिका निभाई थी, जिसे एक बच्ची की छतरी से प्यार हो जाता है और वह उसे हासिल करने के लिए जी तोड़ मेहनत करता है।
जब 'खलनायक' पर भारी पड़े पंकज कपूर?
पंकज कपूर ने अभिषेक बच्चन और संजय दत्त-स्टारर 'दस' में खलनायक की भूमिका निभाई थी। संजय दत्त को बॉलीवुड का खलनायक कहा जाता है, लेकिन इस फिल्म में पंकज कपूर ने खलनायक बनकर खूब प्रशंसा हासिल की थी।