नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारत और पाकिस्तान ने बंटवारे के बाद एक साथ विकास का सफर शुरू किया था, लेकिन अपनी नीतियों की वजह से पाकिस्तान लगातार पिछड़ता जा रहा है, जबकि भारत प्रतिदिन कामयाबी के नए-नए कीर्तिमान रोज स्थापित कर रहा है। इसी का परिणाम है कि मुद्रा की वैल्यू से लेकर महंगाई जैसे सभी पैमानों पर पाकिस्तान भारत के मुकाबले दशकों पीछे चला गया है।
भारतीय रुपया vs पाकिस्तानी रुपया
वित्त वर्ष 24 में के पहले महीने यानी अप्रैल में भारतीय रुपया दुनिया में दूसरी सबसे तेजी से उभरती हुई मुद्रा बन गई है। पिछले महीने अमेरिका डॉलर के मुकाबले रुपया करीब 0.41 प्रतिशत मजबूत हुआ है।
पाकिस्तानी मुद्रा का लचर प्रदर्शन जारी है। पिछले साल में डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये की कीमत करीब 50 प्रतिशत गिर गई है। 7 मई 2022 के डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया की कीमत 186 थी जो अब 6 मई 2023 को 283.50 के स्तर पर पहुंच गई है।
वहीं, भारतीय रुपये के मुकाबले भी पाकिस्तानी रुपये की हालत पस्त है। एक साल पहले एक भारतीय रुपये में 2.42 पाकिस्तानी रुपये आते थे।वहीं, आज ये आंकड़ा 3.25 पाकिस्तानी रुपये पर पहुंच गया है।
भारत के मुकाबले पाकिस्तान में महंगाई
भारत के मुकाबले पाकिस्तान में महंगाई कई गुना अधिक है। ताजा जारी हुए आंकड़ों के मुताबिक, खाद्य वस्तुओं की अधिक कीमत, कमजोर मुद्रा और एनर्जी की कीमतें अधिक होने के कारण अप्रैल में महंगाई 36.4 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो कि 1964 के बाद सबसे उच्चतम स्तर है। पूरे दक्षिण एशियाई देशों में पाकिस्तान में महंगाई की दर सबसे अधिक है।
वहीं, भारत की बात की जाए तो खुदरा महंगाई दर 6 प्रतिशत के नीचे बनी हुई है। खाद्य वस्तुओं के दाम काबू में बने हुए हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार
पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार लागतार निचले स्तरों पर बना हुआ है। इस कारण पाकिस्तान से जरूरी चीजों का आयात बंद करने की खबरें आती रहती हैं। फरवरी 2023 में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 8.7 अरब डॉलर था।