नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क: हर देश के लिए उसकी करेंसी और उसका झंडा सम्मान का विषय होता है। दुनिया के बाकी के देश आपकी ताकत का अंदाजा आपकी करेंसी की ताकत से लगाते हैं। एक कहावत है कि दुनिया पैसों के आगे झुकती है। यहीं वजह है कि वर्तमान में सबसे ताकतवर देश अमेरिका है, क्योंकि उसकी करेंसी ‘डॉलर’ का दुनिया पर राज चलता है।

बाकी के देश अपनी करेंसी की तुलना डॉलर से ही करते हैं। वर्तमान में 1 डॉलर की कीमत 81.73 रुपये के बराबर है। डॉलर के ताकतवर होने की कहानी आपको कभी और बताएंगे। आज आप यह जानिए कि डॉलर के सामने आखिरी भारतीय करेंसी ‘रुपया’ के गिरने या उठने का क्या कारण है और कैसे इसका असर आपकी जिंदगी पर पड़ता है।

करेंसी की वैल्यू कब बढ़ती है

अर्थशास्त्र में एक सरल गणित चलता है, जिसका नाम है डिमांड और सप्लाई। आसान भाषा में कहें तो जिस चीज की मांग जितनी ज्यादा होती है, उस चीज की कीमत उतनी ज्यादा बढ़ जाती है। बस, यही हाल डॉलर का भी है। दुनिया भर में डॉलर की मांग है, क्योंकि वैश्विक बाजारों में लेनदेन के लिए डॉलर के माध्यम से ही पेमेंट करना होता है।

इतनी डिमांड के चलते ही डॉलर की वैल्यू हमेशा बढ़ी रहती है। अगर भारतीय करेंसी की बात करें तो धीरे-धीरे भारतीय करेंसी रुपया भी अपनी डिमांड को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ा रहा है। वर्तमान में रूस और श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, सहित अन्य देशों में भी रुपये से पेमेंट किया जा रहा है। जैसे- जैसे रुपये की डिमांड बढ़ेगी, हमारी करेंसी भी मजबूत होती जाएगी।

रुपया क्यों गिरता है

पिछले 5 सालों की बात करें तो रुपये के वैल्यू में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। 2018-19 में 1 डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 69.80 थी। 2019-20 में रुपये की वैल्यू टूटकर 74.90 हो गई। एक साल के बाद 2020-21 में रुपया थोड़ा मजबूत हुआ और 73.93 पर आ गया। 2021-22 में रुपया 1 डॉलर के मुकाबले 77.40 रुपये का था।

तो आखिर हमारा रुपया गिरा क्यों, किन कारणों की वजह से रुपये में गिरावट दर्ज की गई। किसी भी देश की करेंसी कभी भी एक वजह से नहीं गिरती। वैसे ही रुपये के गिरने के भी कई कारण हैं, जैसे कच्चे तेल की उच्च कीमतें, विदेशों में मजबूत डॉलर और विदेशी पूंजी का आउटफ्लो।

आप पर क्या होगा असर

अगर डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता है तो सबसे पहले इसका असर आयात पर पड़ेगा। विदेश से चीजों को खरीदने में ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ेगा, जिसकी वजह से आयात के बाद देश में वो चीजें भी आपको महंगी मिलेंगी।

उदाहरण के तौर पर- तेल, गैस, खाद्य और पेय पदार्थ जैसे क्षेत्र जो कच्चे माल का आयात करते हैं, उन्हें ये सारी चीजें मंहगे दामों पर खरीदनी पड़ेंगी, जिसके बाद आपको इन चीजों के लिए ज्यादा पैसे देने होंगे। इसका बोझ सीधा आपकी जेब पर पड़ेगा।