नई दिल्ली। झारखंड में भाजपा अपना कप्तान बदलने जा रही है। वर्तमान अध्यक्ष दीपक प्रकाश का कार्यकाल दो महीने पहले ही पूरा हो चुका है। दावेदार कई हैं, परंतु शीर्ष पर राज्यसभा सदस्य आदित्य साहू का नाम चल रहा है। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा को झारखंड में संगठन को भविष्य की चुनौतियों के अनुसार तैयार करना है। मजबूती देनी है। यह इसलिए भी जरूरी है कि लोकसभा चुनाव के कुछ महीने बाद 2024 में ही विधानसभा का भी चुनाव होना है। ऐसे में संभव है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद झारखंड में परिवर्तन कर दिया जाए।

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झारखंड में लोकसभा की 14 सीटों में से भाजपा 12 पर काबिज

झारखंड में लोकसभा की 14 सीटें हैं, जिनमें भाजपा के अभी 12 सांसद हैं। संसदीय चुनाव में इतनी बड़ी सफलता के पश्चात मात्र कुछ महीने बाद ही पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा की रघुवर दास सरकार की वापसी नहीं हो सकी थी। ऐसे में शीर्ष नेतृत्व इस बार सामाजिक समीकरणों पर विशेष जोर दे रहा है।

झारखंड में सामाजिक तौर पर चार बड़े वोट बैंक

झारखंड में सामाजिक तौर पर चार बड़े वोट बैंक हैं। आदिवासी, कुर्मी, वैश्य एवं सामान्य। बाबूलाल मरांडी को विधायक दल की कमान देकर एवं अर्जुन मुंडा को केंद्र में मंत्री बनाकर आदिवासी वोटरों को साधने का पहले ही भरपूर प्रबंध कर दिया गया है। वैसे समीर उरांव एवं आशा लकड़ा के नामों पर भी विचार किया गया है। कुर्मी समुदाय से भाजपा के पास अभी कोई ऐसा बड़ा चेहरा नहीं है, जिसके सहारे किसी करिश्मा की अपेक्षा की जाए। ऐसे में वैश्य समुदाय प्रभावकारी हो सकता है। इस समुदाय के रघुवर दास का बड़ा कद है, लेकिन भाजपा ने उन्हें कई बार और कई रूपों में आजमा लिया है।

प्रदेश के कई विधानसभा सीटों पर वैश्य समुदाय का है बोलबाला

आदित्य साहू का नाम इसलिए भी आगे किया जा रहा है कि प्रदेश की 81 विधानसभा क्षेत्रों में से लगभग आधी सीटों पर वैश्य समुदाय की संख्या हार-जीत को प्रभावित करने वाली है। प्रदेश अध्यक्ष के लिए सामान्य वर्ग से तीन नाम विशेष तौर पर चर्चा में हैं। रवींद्र राय के खाते में उनकी कप्तानी में लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव की कामयाबी की कहानी है।

दूसरा नाम चतरा के सांसद सुनील सिंह का है और तीसरे बड़े दावेदार दीपक प्रकाश स्वयं हैं, किंतु पहुंच और शीर्ष नेतृत्व की पसंद के आधार पर आदित्य साहू की दावेदारी अन्य पर भारी पड़ रही है। उनके पास संगठन में काम करने का भी अनुभव है। दीपक प्रकाश को राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का करीबी माना जाता है, किंतु आगे चुनाव में जाना है और भाजपा के लिए एक-एक सीट महत्वपूर्ण है।