नई दिल्ली, कर्नाटक विधानसभा चुनाव में इन दिनों बजरंग बली का शोर है। कांग्रेस ने दो मई को जारी किए गए अपने घोषणापत्र में बजरंग दल की तुलना प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से कर दी थी। इतना ही नहीं, कांग्रेस ने सत्ता में आने पर बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का भी वादा किया है। हालांकि, कांग्रेस बजरंग दल पर चले अपने दांव के बाद बैकफुट पर नजर आ रही है।

हमलावर हुई बीजेपी

बजरंग दल पर कांग्रेस के एलान के बाद बीजेपी विपक्षी दल पर जमकर निशाना साध रही है। पीएम मोदी अपनी रैलियों में जय बजरंग बली का नारा लगा रहे हैं। इसी हफ्ते विजयनगर की रैली में पीएम ने कहा था कि कांग्रेस ने पहले भगवान राम को ताले में बंद किया था और अब वह जय बजरंग बली का नारा लगाने वालों को ताले में बंद करना चाहती है।

बैकफुट पर कांग्रेस!

बीजेपी के जबरदस्त हमले के बाद कांग्रेस बैकफुट पर नजर आ रही है। कांग्रेस नेताओं को अपने घोषणापत्र को लेकर सफाई देनी पड़ रही है। कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने हाल ही में कहा था कि सरकार बनने पर हनुमान जी के मंदिर बनाए जाएंगे। इसके लिए एक विशेष बोर्ड का गठन किया जाएगा, जो हनुमान मंदिर के निर्माण और इसकी देखरेख सुनिश्चित करेगा। वही, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि कांग्रेस हिंदू विरोधी नहीं है। मैंने खुद हनुमान जी के कई मंदिर बनाए हैं।

बजरंग दल पर यू टर्न

बजरंग दल के मुद्दे पर फंसी कांग्रेस यूटर्न लेती दिख रही है। पूर्व कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने गुरुवार को कहा कि बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का हमारा कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा कि बजरंग दल को कर्नाटक सरकार के माध्यम से प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है। वही, भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए जगदीश शेट्टार ने कहा, 'किसी भी संगठन पर प्रतिबंध लगाना केंद्र सरकार का अधिकार है, राज्य सरकार का नहीं।'