नई दिल्ली, सांसदों-विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों के तेजी से निस्तारण में सुप्रीम कोर्ट की सहायता करने के लिए उसकी ओर से नियुक्त न्याय मित्र ने एक अनुरोध किया। न्याय मित्र ने कहा कि इन लोगों के खिलाफ लंबित मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट निर्देश जारी करे। साथ ही, न्याय मित्र ने सुप्रीम कोर्ट से हाई कोर्ट को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया कि सांसदों, विधायकों के खिलाफ मुकदमों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालतों में जरूरी न्यायाधीशों की संख्या की समीक्षा की जाए।
रिपोर्ट में दिया गया ये सुझाव
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि हाई कोर्ट विशेष अदालतों के पीठासीन अधिकारियों का तभी तबादला कर सकता है, जब प्रस्ताव को संबद्ध हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की मंजूरी मिल गई हो। अधिवक्ता स्नेहा कलिता के जरिए दाखिल की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि उक्त पद पर शीघ्र ही एक अन्य न्यायिक अधिकारी को पदस्थ किया जाना चाहिए और यह पद खाली नहीं रहना चाहिए। अंतिम फैसला सुनाने के लिए मुकदमे में दलीलें पूरी हो जाने के बाद तबादले के समय मामला लंबित नहीं हो। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने 11 अप्रैल को दाखिल एक हलफनामे में कहा था कि वह कनेक्टिविटी, लैपटॉप, बिजली गुल होने पर वैकल्पिक व्यवस्था, सुरक्षा सुविधाएं आदि के अभाव से जुड़े मुद्दों का सामना कर रहा है। इसके चलते सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई में देर हुई है।
यहां लंबित हैं मामले
रिपोर्ट के अनुसार, मद्रास हाई कोर्ट ने दावा किया कि तमिलनाडु में 28 फरवरी तक सांसदों, विधायकों के खिलाफ 249 मामले लंबित थे, जिसमें से 50 मामले पांच या इससे अधिक साल पुराने हैं। इसमें कहा गया है कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि 28 फरवरी तक सांसदों, विधायकों के खिलाफ 472 मामले लंबित थे। रिपोर्ट में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा कि 31 मार्च तक सांसदों, विधायकों के खिलाफ 304 मामले लंबित थे। वहीं, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब में 100 और हरियाणा में 49 मामले लंबित रहने की जानकारी दी।