आपदाओं से निपटने के लिए देश की राजधानी में अत्याधुनिक साज सुविधाओं से युक्त एक आपातकालीन संचालन केंद्र (ईओसी) बनेगा। यह केंद्र भूकंप, आंधी-तूफान, तेज बरसात, आगजनी और महामारी के दौरान त्वरित बचाव कार्य में मददगार होगा।

एलजी वीके सक्सेना के निर्देश पर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने उत्तर पश्चिमी दिल्ली के शालीमार बाग में इस केंद्र के लिए दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) को एक हेक्टेयर जमीन भी आवंटित कर दी है। जल्द ही इस जमीन का कब्जा लेने की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और इसके बाद इसका निर्माण कार्य भी प्रारंभ हो जाएगा।

संभावना है कि यह केंद्र करीब दो साल में बनकर तैयार हो जाएगा। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के निर्देशानुसार हर राज्य में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) का अपना मुख्यालय और एक आपातकालीन केंद्र होना चाहिए।

कहने को यह दिल्ली में भी है जरूर, लेकिन अस्थायी तौर पर पांच, शामनाथ मार्ग स्थित भवन में दिल्ली सरकार के अन्य कार्यालयों के साथ ही इसको भी कुछ जगह मिली हुई है। पिछले दिनों राजनिवास में एलजी और सीएम अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई एक समीक्षा बैठक में इस विषय में विस्तार से चर्चा हुई।

दिल्ली में नहीं है राज्य आपदा राहत बल

इस दौरान कई मुददों पर बहुत गंभीरता से विचार विमर्श किया गया। मसलन, भूकंप के लिहाज से दिल्ली का सिस्मिक जोन चार में आना, अनधिकृत कालोनियों में संकरी सड़कें होना, जहां आपदा की स्थिति में वाहनों और लोगों की आवाजाही "लगभग असंभव" होना,बड़ी संख्या में इमारतें असुरक्षित होना, उनका सर्वेक्षण भी नहीं होना और इस संबंध में प्रभावी कार्रवाई की जरूरत होना। बैठक में यह भी रेखांकित किया गया कि दिल्ली में अन्य महानगरों की तरह राज्य आपदा राहत बल (एसडीआरएफ) नहीं है।

एनडीआरएफ ने ही 1,176 जवानों की एक बटालियन दिल्ली को दे रखी है। साथ ही इस पर भी विचार हुआ कि डीडीएमए को अपनी ''आपदा मित्र'' योजना को आगे बढ़ाना चाहिए। बैठक में तय किया गया कि डीडीएमए 1,800 स्वयंसेवकों को बुनियादी राहत कौशल और बचाव उपायों में प्रशिक्षित करेगा ताकि वे आपदा की स्थिति में समुदायों की सहायता कर सकें। इन स्वयंसेवकों को किसी भी शारीरिक चोट या मृत्यु के दावे के लिए पांच लाख रुपये की बीमा राशि के साथ आपातकालीन रिस्पांस किट और बीमा कवर प्रदान किया जाएगा।

त्वरित रिस्पांस के लिए खरीदे जा रहे उपकरण

जानकारी के मुताबिक डीडीएमए ने बीएसएनएल के माध्यम से राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के परामर्श से 53 सैटेलाइट फोन भी खरीद लिए हैं, जो किसी भी ऐसी स्थिति में, जब संचार व्यवस्था ठप हो जाए, अहम साबित हो सकते हैं।

एनडीआरएफ के परामर्श से दिल्ली के सभी 11 जिलों के लिए इमारत गिरने, पेड़ों को उखाड़ने और अन्य आपदाओं से संबंधित प्रभावी और त्वरित रिस्पांस के लिए उपकरण भी खरीदे जा रहे हैं। आपदा मित्र स्वयंसेवकों का इन दिनों द्वारका के इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय परिसर में प्रशिक्षण भी चल रहा है।

आपदा प्रबंधन के विशेष मुख्य कार्याधिकारी सुशील सिंह ने बताया कि शालीमार बाग में जल्द ही हमें ईओसी के लिए जमीन का कब्जा मिल जाएगा। इसके साथ ही वहां पर इसके निर्माण की प्रक्रिया गति पकड़ लेगी। ईओसी के साथ इसी भवन में डीडीएमए का मुख्यालय बनेगा। यहां हर वह सुविधा होगी, जिससे किसी भी आपदा में सहायता की जा सके।