नई दिल्ली। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बंगाल की सीएम और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव से सोमवार को हुई मुलाकात के नतीजों से फिलहाल यह तय हो गया है कि व्यापक विपक्षी एकता की पहल आने वाले दिनों में आगे बढ़ेगी। बेशक विपक्षी एकता के ठोस स्वरूप की तस्वीर इन नेताओं की बैठक में अभी साफ नहीं हुई, मगर तृणमूल कांग्रेस और सपा दोनों दलों ने यह संकेत जरूर दे दिया है कि कांग्रेस के विपक्षी एकजुटता की धुरी बनने से उन्हें कोई परहेज नहीं होगा। साथ ही विपक्षी खेमे के लिए एक सकारात्मक संकेत यह भी है कि फिलहाल विपक्षी एकता की गाड़ी नेतृत्व विवाद के गतिरोध में भी नहीं फंसेगी।
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नीतीश कुमार ने संभाला जिम्मा
विपक्षी सियासत को एक मंच पर लाने के लिए कोलकाता और लखनऊ में सोमवार को शुरू हुई कसरत इस बार नीतीश कुमार के मैदान में उतरने की वजह से ज्यादा गंभीर मानी जा रही है। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से हुई चर्चाओं के बाद नीतीश ने ममता, अखिलेश, अरविंद केजरीवाल और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव को विपक्षी एकता की छतरी में लाने का जिम्मा संभाला है। इन चारों क्षेत्रीय क्षत्रपों की कांग्रेस के साथ सियासी रस्साकसी रही है।
खरगे के यहां 19 पार्टियो ंकी हुई बैठक
पिछले महीने मानहानि के मुकदमे में सजा के आधार पर राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म किए जाने के बाद सपा, टीएमसी, आप और बीआरएस संसद में विपक्षी एकता का हिस्सा बने। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के यहां तब 19 पार्टियों की बैठक में संसद में हुई विपक्षी एकता को 2024 के चुनाव के लिहाज से जमीन पर उतारने की पहल शुरू करने पर सहमति बनी।
शिवसेना ने भी विपक्षी एकता का किया समर्थन
सावरकर मुद्दे पर नाराजगी के चलते इस बैठक से दूर रही शिवसेना उद्धव गुट ने भी 20वें दल के रूप में अगले दिन इसका समर्थन कर दिया था। खरगे ने इसके बाद ही नीतीश कुमार, एमके स्टालिन और उद्धव ठाकरे को फोन कर विपक्षी एकता को आगे बढ़ाने की कसरत शुरू की। खरगे और राहुल गांधी के साथ नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की पिछले दिनों हुई बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि कांग्रेस से असहज रिश्ते रखने वाले विपक्षी खेमे के दलों को साथ लाने की पहल को बिहार के मुख्यमंत्री आगे बढाएंगे।
ममता, केजरीवाल और अखिलेश से संवाद करेंगे खरगे
कांग्रेस सूत्रों ने यह संकेत दिया कि नीतीश की इस पहल के साथ ही खरगे भी कर्नाटक चुनाव के बाद अपनी कोशिशों को आगे बढाएंगे और ममता बनर्जी, केजरीवाल, अखिलेश से लेकर केसीआर तक से संवाद करेंगे। विपक्ष के शीर्षस्थ नेताओं की बैठक कर्नाटक चुनाव के बाद बुलाए जाने की कोशिश होगी ताकि विपक्षी एकता की पहल ठोस दिशा में आगे बढ़ाई जा सके।