नई दिल्ली, तेलंगाना सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि निर्वाचित विधायक राज्यपालों की 'दया' पर निर्भर हैं। तेलंगाना सरकार की अदालत के समक्ष यह टिप्पणी राज्य के राज्यपाल कार्यालय की ओर से शीर्ष अदालत को यह अवगत कराए जाने के बाद आई है कि उनके पास कोई भी विधेयक मंजूरी के लिए लंबित नहीं है।

तेलंगाना सरकार की याचिका पर सुनवाई

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ विधानसभा द्वारा पारित 10 विधेयकों को मंजूरी देने के लिए राज्यपाल को दिशानिर्देश देने संबंधी तेलंगाना सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। शीर्ष कोर्ट ने इस संबंध में सालिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों का संज्ञान लिया और कार्यवाही बंद कर दी।

मेहता और दवे के बीच जुबानी जंग 

मेहता ने पीठ को सूचित किया कि उन्हें राज्यपाल के सचिव से एक संदेश मिला है, जिसमें कहा गया है, 'अब हमारे पास कोई विधेयक लंबित नहीं है।' राज्य सरकार की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने पीठ से कहा, 'निर्वाचित विधायक राज्यपालों की दया पर निर्भर हैं।' 

जब दवे ने कहा कि ऐसा केवल गैर-भाजपा शासित राज्यों में हो रहा है, तो इस पर मेहता ने कहा कि वह इस प्रकार की 'हल्की' टिप्पणी न करें। पीठ ने कहा, 'अब इस वक्त राज्यपाल के पास कुछ भी लंबित नहीं है।'  मेहता और दवे के बीच उस वक्त एक जुबानी जंग देखने को मिली, जब सालिसिटर जनरल ने कहा कि अदालत के सामने चिल्लाने से मदद नहीं मिलेगी। शीर्ष अदालत ने 20 मार्च को तेलंगाना सरकार द्वारा दायर याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा था।