हैदराबाद, मुख्यतया उत्तर और पश्चिमी भारत में राजनीतिक रूप से अहम रहे बाबा साहेब आंबेडकर अब दक्षिण के लिए भी प्रासंगिक हो गए हैं। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) की पार्टी भारत राष्ट्र समिति ने अभी से आंबेडकर के नाम पर चुनावी पिच बनाना शुरू कर दिया है।

हिसाब लगाने में जुटी भाजपा

बाबा साहेब की जयंती पर देश में उनकी सबसे ऊंची 125 फीट की प्रतिमा हैदराबाद में लगाने के बाद आगामी 30 अप्रैल को प्रस्तावित राज्य सचिवालय के नामकरण समारोह को भी इसी नजरिए से देखा-समझा जा रहा है। दो बार से यहां केसीआर की सरकार है। केंद्र की सत्ता में लगातार तीसरी बार वापसी के लिए एक-एक सीट का हिसाब लगाने में जुटी भाजपा को तेलंगाना में संभावना नजर आ रही है।

अपनी खोई जमीन को प्राप्त करने के प्रयास में कांग्रेस

अलग राज्य बनने के बाद धीरे-धीरे सिमटती जा रही कांग्रेस भी अपनी खोई जमीन को प्राप्त करने के प्रयास में है। यहां अनुसूचित जाति की आबादी लगभग 22 प्रतिशत है, जो किसी भी दल की हार-जीत की पटकथा तैयार कर सकती है। सबकी कोशिश इसे साधने की है। स्पष्ट है कि आने वाले दोनों चुनावों में इस समुदाय की निर्णायक भूमिका हो सकती है।

आंबेडकर की प्रतिमा के सहारे

महीने भर में तेलंगाना के लिए दो वंदे भारत ट्रेनें शुरू कर प्रधानमंत्री ने भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास सबसे पहले ही प्रारंभ कर दिया है। आठ अप्रैल को प्रधानमंत्री की सिकंदराबाद एवं हैदराबाद की यात्रा के मात्र पांच दिन बाद ही केसीआर भी आंबेडकर की प्रतिमा के सहारे अपने मिशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए संसाधन जुटाने लगे हैं।

चुनाव के करीब आते देखकर आंबेडकर के नाम को बड़े स्तर पर भुनाने की कोशिश है। इसी महीने के अंत में राज्य सचिवालय का नाम आंबेडकर के नाम पर करना है। कार्यक्रम में देश भर के सभी प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं को बुलाया जाना है।