नालंदा जिले के सिलाव थाना क्षेत्र के एक गांव में मानव तस्करी की शिकार एक किशोरी ने गुरुवार की रात फंदे से झूलकर आत्महत्या कर ली। पुलिस देर रात शव लेकर सदर अस्पताल पहुंची, लेकिन डॉक्टर की लापरवाही की वजह से घंटों शव मोर्चरी में पड़ा रहा। जिलाधिकारी के हस्तक्षेप के आठ घंटे बाद शव का पोस्टमार्टम हो सका। किशोरी दो भाइयों में सबसे बड़ी थी और इसी वर्ष उसने मैट्रिक की परीक्षा में प्रथम श्रेणी से पास की थी।
आत्महत्या की क्या रही वजह
दरअसल, पिछले पांच साल से किशोरी अपने माता-पिता और भाइयों के साथ रामचंद्रपुर मोहल्ले में किराए पर रहती थी। लहेरी थाना में किशोरी की मां ने पिछले साल अक्टूबर महीने में 15 वर्षीय पुत्री के गायब होने की एफआईआर दर्ज कराई थी। एफआईआर दर्ज करने के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए किशोरी को पूर्णिया से बरामद किया था।
किशोरी का कोर्ट में बयान कराया गया था, जिसमें उसने दो लोगों पर अगवा कर बेच देने की बात कही थी। इस मामले में दोनों आरोपित फरार चल रहे थे। न्यायालय के आदेश पर लहेरी थाना क्षेत्र के मंगला स्थान निवासी निशांत कुमार के घर में कुर्की की कार्रवाई की गई, जबकि एक अन्य आरोपित राजू उर्फ श्रवण यादव ने कुर्की के पहले ही सरेंडर कर दिया।
मरने से पहले लिखा सुसाइड नोट
किशोरी की बरामदगी के बाद स्वजन गांव में रहने चले गए। तब से किशोरी मानसिक रूप से परेशान रह रही थी। गुरुवार की शाम जब घर के सदस्य बाहर गली में बैठे हुए थे, उसी वक्त उसने खुद को कमरे में बंद कर लिया और दुपट्टे का फंदा बनाकर लटक गई। जब दरवाजा तोड़ा गया तो वह बांस के सहारे फंदे से लटकी हुई थी। इसके बाद आस-पड़ोस और स्थानीय पुलिस को सूचना दी गई। किशोरी के पास सुसाइट नोट भी मिला, जिसमें से उसने जिंदगी की आपबीती बताते हुए आत्महत्या करने का जिक्र की है।
सुसाइड नोट में क्या लिखा?
पुलिस ने मौके से एक सुसाइड नोट बरामद किया है। उसमें लड़की ने लिखा है कि सुसाइड नोट में लिखा' पूज्य पिताजी, सादर प्रणाम। मैं जीना नहीं चाहती हूं। मैंने जो गलती की है, वह माफी के लायक नहीं है। फिर भी पूरे परिवार ने मुझे माफ कर दिया। मुझे परिवार ने हर खुशी दी। जो मांगा सब कुछ मिला। फिर भी मेरी गलती की वजह से मेरेमम्मी-पापा, चाचा-चाची और परिवार के अन्य लोग कहीं सिर उठाकर जीने लायक नहीं बचे। इस सबके बावजूद पूरे परिवार ने मुझे प्यार दिया। मुझे अपनी गलती के चलते परिवार को उदास देखना अच्छा नहीं लगता है। इसलिए मैं अपनी मर्जी से जीवन लीला समाप्त कर रही हूं। मेरे परिवार का कोई दोष नहीं है। पापा हो सके तो मुझे माफ कर देना।