प्रदेश सरकार ने भले ही अहाते बंद करा दिए हों, पर शराबियों को इसकी कोई परवाह नहीं। उन्होंने खुद नए ‘अहाते’ खोल लिए हैं और ये बनाए हैं- खुले में। जी हां, गलियों, सूनसान सड़कों पर, मैदानों और बगीचों में शराबी एक अप्रैल के बाद से दारू पी रहे हैं। उनको जहां जगह मिल रही है, वहीं शराब पीने लगे हैं। अहाते थे तो वे दारू की बोतलें, वहां एक जगह डाल दिया करते थे लेकिन अब तो वे सड़कों और गलियों में फेंक दी जा रही हैं।
नतीजतन, प्रदेश सरकार ने एक अप्रैल से आबकारी नीति में बदलाव की कड़ी में महिलाओं को राहत देने के लिए जिस मकसद से अहातों को बंद कराया था, वह पूरा होने के बजाय मुश्किल और बढ़ गई है। दारूबाजों के खुलेआम यूं शराब पीने से अब तो महिलाओं और स्कूली बच्चों का रास्ता निकलना भी मुश्किल हो गया है। लेकिन अब जिम्मेदार चुप हैं। इस मामले में प्रशासन, पुलिस और आबकारी विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।