दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 90 के दशक के हर्षद मेहता घोटाला मामले में संलग्न शेयरों को बेचने के आरोप में एक व्यक्ति के खिलाफ आरोप तय करने का निर्देश दिया है। आरोपी ने बिना किसी अधिकार के अपने माता-पिता के शेयर ब्रिकी फार्म पर साइन किए थे
मजिस्ट्रेट ने दिया आरोत तय करने का निर्देश
मामले की सुनवाई करते हुए मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट यशदीप चहल ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 और 468 के तहत आरोप तय करने का निर्देश दिया। न्यायाधीश ने कहा कि प्रीचार्ज सबूत से पता चलता है कि अभियुक्त ने ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं होने के बावजूद वास्तव में बिक्री आदेशों पर हस्ताक्षर किए थे।"इस बात से कहीं इनकार नहीं किया गया है कि आरोपी ने भुगतान नहीं लिया है
माता-पिता के कहने पर किए साइन
न्यायाधीश ने 31 मार्च के आदेश में कहा, "अदालत के एक सवाल पर आरोपी ने कहा कि कथित रूपों पर साइन उसके हैं। हालांकि, उसने दोहराया कि उसने अपने माता-पिता के कहने पर हस्ताक्षर किए हैं। जैसा भी हो, अखंडित पूर्व आरोप सबूत निराधार नहीं है और अगर परीक्षण में विधिवत साबित हो जाए तो अभियुक्त का दोष स्थापित हो सकता है।"
साथ ही अदालत ने कहा कि आरोपी ने खुद उक्त प्रपत्रों पर हस्ताक्षर किए, जबकि उक्त प्रपत्रों में शेयरों के धारकों के नाम के रूप में आरोपी के माता-पिता का नाम था। शिकायत से पता चलता है कि आरोपी ने खुद को शेयरों का मालिक बताते हुए कंपनी के कुछ शेयरों की बिक्री के लिए 5 जुलाई, 1995 और 8 सितंबर, 1995 को 2 मौके पर बिक्री के आदेश भरे