अमेरिका की एक अदालत ने विदेशी कर्मचारियों को लेकर अहम फैसला दिया है। अमेरिकी अदालत ने कहा है कि एच-1बी वीजा धारकों के जीवनसाथियों को अमेरिका में काम करने की इजाजत होगी। जिला जज तान्या चुटकन ने एक याचिका को खारिज करते हुए ये फैसला सुनाया।

'सेव जॉब्स यूएसए' की याचिका खारिज

जिला जज तान्या चुटकन ने 'सेव जॉब्स यूएसए' संगठन की याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में ओबामा युग के उस नियम को खारिज करने की मांग की गई थी, जिसमें एच-1बी वीजा धारकों के जीवनसाथियों को रोजगार प्राधिकरण कार्ड दिया गया था।

Amazon, Apple, Google, और Microsoft जैसी टेक कंपनियों ने इस याचिका का विरोध किया था। बता दें कि अमेरिका ने अब तक लगभग एक लाख एच-1बी कर्मचारियों के जीवनसाथियों को काम के अधिकार जारी किए हैं। इनमें से बड़ी संख्या भारतीय नागरिकों की है।

जज ने आदेश में क्या कहा?

जज चुटकन ने अपने आदेश में कहा, "सेव जॉब्स यूएसए का तर्क यह है कि कांग्रेस ने डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी अथॉरिटी को एच-4 वीजा धारकों जैसे विदेशी नागरिकों को अमेरिका में रहने के दौरान काम करने की अनुमति नहीं दी है।"

एच-1बी व एल-1 वीजा में सुधार के लिए अमेरिकी सीनेट में विधेयक पेश

उधर, अमेरिका में विदेशी कर्मचारियों की नियुक्ति में पारदर्शिता के लिए प्रभावशाली सांसदों के एक समूह ने एच-1बी और एल-1 वीजा प्रोग्राम में व्यापक सुधार के लिए सीनेट में द्विदलीय विधेयक पेश किया है। अमेरिकी तकनीकी कंपनियों द्वारा हाल में एच-1बी वीजा धारक भारतीयों समेत विदेशी कर्मचारियों की बड़ी संख्या में छंटनी के मद्देनजर यह विधेयक महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

क्यों मिलता है एच-1बी वीजा?

एच-1बी वीजा एक गैर-आप्रवासी वीजा है जो अमेरिकी तकनीकी कंपनियों को विदेशी पेशेवरों की विशेष अवधि के लिए नियुक्ति की अनुमति देता है। इसके तहत अमेरिकी कंपनियां बड़ी संख्या में भारत व चीन जैसे देशों के पेशवरों को नियुक्त करती हैं।