वारिस पंजाब दे के चीफ और खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। अमृतपाल की नजर सिखों की मिनी संसद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) पर थी। वह एसजीपीसी पर अपना कब्जा करना चाह रहा था।
ध्यान रहे कि एसजीपीसी की ओर से सिख धर्म के प्रचार और प्रसार के लिए काम किया जाता है। पिछले कई सालों पर एसजीपीसी पर शिरोमणि अकाली दल (शिअद) का कब्जा है। अमृतपाल बादल के समर्थकों और विरोधियों को साथ लेकर चुनाव में उतरना चाहता था। इस मिशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए अमृतपाल ने एसजीपीसी का का सदस्य बनने की तैयारी कर रहा था। इसके लिए उसने खालसा वहीर (मार्च) निकालने की तैयारी कर ली थी
युवाओं को टूल की तरह कर रहा था इस्तेमाल
अमृतपाल सिंह पंजाब के लोगों व युवाओं को नशा छुड़वाने के नाम पर अपने साथ जोड़ रहा था। जांच में सामने आया है कि वह युवाओं को एक टूल की तरह की इस्तेमाल कर रहा था। इससे साथ है कि पंजाब में नशा कितना बड़ी समस्या है।
पंजाब विधानसभा में भी सेहत मंत्री डा बलबीर सिंह ने जानकारी दी है कि पंजाब में 9 लाख से ऊपर नशे के शिकार लोग है। जिनमें से 6 लाख 62 हजार का इलाज प्राइवेट और 2 लाख 21 हजार का इलाज सरकारी नशा मुक्ति केंद्रों पर चल रहा है। सिख धर्म के प्रचार के नाम पर अमृतपाल अमृत संचार करने वाले लोगों को निजी रूप में इस्तेमाल करने की बात भी जांच में सामने आई है।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक इसके लिए उसने पूरी तरह से प्लानिंग कर ली थी। अमृत संचार के नाम पर युवाओं को वह अपने साथ लगातार जोड़ रहा था। असल में वह अमृत संचार के नाम पर अपना वोट बैंक तैयार कर रहा था। मामले की जांच कर रहे है अधिकारियों के मुताबिक एसजीपीसी पर कब्जा करने का मकसद यह था कि वह खालिस्तानी मूवमेंट को एसजीपीसी के जरिए चला सके