अमृतपाल की ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के प्रमुख के रूप में जिस रोडे गांव में दस्तारबंदी हुई थी, वहां जनजीवन सामान्य है। हालांकि, धारा 144 लागू होने से लोग घरों से कम निकल रहे हैं। उल्लेखनीय है कि गांव रोडे जरनैल सिंह भिंडरांवाला की जन्मस्थली है। दैनिक जागरण की टीम ने मंगलवार को गांव रोडे का दौरा किया। मोगा-कोटकपूरा स्टेट हाईवे से करीब तीन किलोमीटर दूर बसे रोडे गांव तक पहुंचने के दौरान टीम को दोपहर एक बजे रास्ते में सिर्फ दो टेंपों मिले, उनमें भी सवारियां कम थीं। टेंपो लगभग खाली ही दौड़ रहे थे।अमृतपाल के संबंध में पूछने पर गांव का कोई व्यक्ति कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुआ। इस सत्थ के ठीक सामने एक हलवाई की दुकान पर टीम ने चाय की चुस्कियां लीं। करीब 7-10 मिनट तक चाय की चुस्कियों के बीच दुकानदार से हमने गांव के माहौल को लेकर बात की। उसने बताया कि जनजीवन सामन्य है। हालांकि, उसने कहा कि कोई उसका फोटो नहीं खींचेगा

अमृतपाल पर कोई बोलने को तैयार नहीं

गांव की पहली सत्थ से गांव की फिरनी पर चलते हुए करीब 800 मीटर दूर हम उस गुरुद्वारे में जा पहुंचे, जहां पिछले साल 29 सितंबर को अमृतपाल की दस्तारबंदी हुई थी। श्री गुरुद्वारा साहिब में भी इक्का-दुक्का ही लोग आते-जाते दिखे। हम लंगरशाला की तरफ पहुंचे तो वहां तीन सेवादार थे। हालांकि, अमृतपाल पर वे भी कुछ बोलने को तैयार नहीं हुए। इस दौरान सेवादारों ने हमारी टीम को भी चाय पिलाई। करीब 15 मिनट तक उनके साथ रहे। कुछ देर बाद एक युवक गाड़ी में आया। जब हमने उससे गांव के हालात के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वह तो कभी-कभी गुरुद्वारो आता है। आगे आपको लोग मिल जाएंगे, जो बता देंगे।

धारा 144 लागू, घरों से कम निकल रहे लोग

भगोड़ा घोषित अलगाववादी अमृतपाल के खिलाफ जब पुलिस ने आपरेशन शुरू किया तो राज्य में तीन दिन तक माहौल तनावपूर्ण रहा। अमृतपाल पर जैसे-जैसे शिकंजा कसता गया, वैसे-वैसे माहौल सामान्य होता गया। जागरण टीम ने अमृतपाल के अमृतसर स्थित गांव जल्लूपुर खेड़ा, मोगा स्थित गांव रोडे और जालंधर के शाहकोट, मलसियां व महितपुर आदि का दौरा कर हालात का जायजा लिया। वहां जनजीवन सामान्य दिखा।

अमृतपाल और पुलिस के बीच चल रहे चूहे-बिल्ली के खेल को लेकर एक तरफ जहां लोगों की जिज्ञासा बढ़ती जा रही है, वहीं दूसरी तरफ सैकड़ों लोग अमृतपाल की गिरफ्तारी की खबर का इंतजार करते दिखाई दिए। हर जगह सुरक्षा व्यवस्था सख्त रही। कहीं पर भी अमृतपाल के मामले को लेकर किसी में भी असुरक्षा की भावना नहीं दिखाई दी।