रीवा केंद्रीय जेल में क्या राजू शुक्ला के मौत का राज, राज बनकर ही रह जाएगा आखिर राजू शुक्ला के परिजनों ने क्यों लगाया जेल के कर्मियों पर मारपीट कर मार डालने का आरोप 3 दिन पूर्व 1 लाख रु. की हुई थी डिमांड 1 लाख रुपये न देने पर पीट-पीटकर उतारा गया मौत के घाट परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप सत्यता तो खैर निष्पक्ष जांच के बाद ही सामने आ पाएगी

धतराष्ट्र बना जेल प्रशासन आख़िर कब तक केंद्रीय जेल रीवा उगलेगा लाश

केंद्रीय जेल रीवा में लाश उगलने का सिलसिला है जारी जेल प्रशासन बना अंजान 

मुनाफाखोरी के लिए तरह तरह कि अमानवीय यातनाएँ देकर ले ली जाती है कैदियों कि जान राजू के परिजनो के गंभीर आरोप

खबर मध्य प्रदेश के रीवा जिले से है जहां केंद्रीय जेल रीवा किसी ना किसी कारनामे को लेकर सुर्ख़ियों में में बना रहता है कभी बंदियों के साथ क्रूरता से मारपीट तो कभी घटिया भोजन देने को लेकर बिना कोई बीमारी कि मौत को लेकर इसी बात खुलासा बीते माह कुछ विचाराधीन बंदियों द्वारा जेल से छूटने के बाद जेल के अंदर की सभी काली करतूतों का काला चिट्ठा खोल कर रख दिया था लेकीन जेल प्रशासन या जिला प्रशासन के कानो में जूं तक नहीं रेग रहा है जिससे एक बार फिर केंद्रीय जेल रीवा में रंगा बिल्ला के हाथों चढ़ा एक कैदी कि हुई मौत और लाशों के उगलने का शिलाशिला जारी ही रहा । जानकारी के मुताबिक बताते चले कि हत्या के प्रयास के मामले में सजा काट रहे कैदी राजू शुक्ला पुत्र ईश्वर दीन शुक्ला निवासी पाली थाना क्षेत्र बैकुंठपुर की संजय गांधी अस्पताल में हुई सन्दिग्ध मौत पर परिजनों का कहना है कि जेल पुलिस द्वारा भर्ती करने की सूचना हमको नही दी गई मृतक के पुत्र अभिषेक शुक्ला का आरोप है कि जेल में उनके पिता राजू शुक्ला के साथ मारपीट हुई है 2 दिन पूर्व मिलने गए परिजनों को राजू शुक्ला द्वारा रोते हुए सारी व्यथा जेल मैं दी गई यातनाएं बताई गई थी इसके बाद परिजनों द्वारा फोन पर बात करने का भी प्रयास किया गया तो बात नहीं कराया गया और फिर 2 दिन बाद उसकी मौत हो जाती है राजू शुक्ला की बीमारी का परिजनों को समय पर सूचना ना देना और जब सूचना दी गई तब तक अस्पताल में राजू शुक्ला की मौत हो चुकी थी परिजनों का यह भी कहना है कि राजू के साथ जेल में मारपीट की गई थी जिसके कारण उसकी मौत जेल में ही हो चुकी थी या फिर उसी मारपीट के कारण अस्पताल में मौत हुई है और बीमारी का बहाना बताया जा रहा है।

परिजनों के आरोप को बल इसलिए भी मिलता है कि अभी 2 दिन पहले ही ग्राम चिल्लाा निवासी व्यक्ति जो केंद्रीय जेल रीवा में बंदी रहे हैं उनके साथ भी इसी तरह मारपीट हुई थी और उन्होंने राजू शुक्ला के साथ मारपीट किए जाने की चश्मदीद देखने की बात कही है। यह पहला मामला नहीं है कि कैदियों की पिटाई से मौत हुई हो आए दिन इसी तरीके से केंद्रीय जेल रीवा लाश उगलता रहा है और केंद्रीय जेल रीवा के अधीक्षक द्वारा बंद कैदियों के मौत के बारे में यदि पत्रकारों द्वारा जानकारी मांगी जाती है तो केंद्रीय जेल के अधीक्षक द्वारा बातें बना करके टाल दी जाती है और जब पत्रकारों द्वारा खबरों को प्रमुखता से प्रकाशित किया जाता है तो केंद्रीय जेल के अधीक्षक कुछ व्यक्तिगत पत्रकारों को बुलाकर आनाकानी करते हुए अपने अनुसार घटना से हट कर के बाइट देकर के प्रकाशित कराया जाता है और तो और उन्हीं पत्रकारों से जेल अधीक्षक द्वारा दहशतगर्दी बातें करते अन्य पत्रकारों को कह लाई जाती है अब यहां सवाल यह उठता है कि केंद्रीय जेल रीवा अधीक्षक के ऊपर जेल मंत्रालय क्यों मेहरबान है या जेल मंत्री या सूबे के मुख्यमंत्री को आए दिन कैदियों से मारपीट या कैदियों की मौत कि बातें उनके कान तक नहीं पहुंच रही है ।

आखिर किसके सह पर केंद्रीय जेल रीवा के जेल अधीक्षक का मनोबल बढ़ गया है कि मानवता को शर्मसार करते हुए अपने अंदर की सारी संवेदनाएं मार चुका है और सिर्फ मुनाफाखोरी के चक्कर में चंद पैसों के लिए जिंदा कैदियों को मौत में तब्दील कर देता है । क्या यही आजाद भारत देश है । परिजनों का कहना है कि ऐसी तरह तरह कि यातनाएं तो अंग्रेजी हुकूमत में दी जाती थी अपने गुलाम भारत देश के नागरिकों को मारने के लिए जो अब केंद्रीय जेल रीवा के जेल अधीक्षक द्वारा किया जा रहा है। साथ ही साथ परिजनों ने यह भी कहा कि जेल से अस्पताल लाते समय की सीसीटीवी फुटेज सामने लाई जाए और पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की जाय अभी दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा। हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही यह पता चलेगा कि राजू शुक्ला की मौत किन परिस्थितियों में हुई है। पूर्व में चल रही खबरों और लोगों द्वारा बताए अनुसार जेल में पैसे और पावर वालों के लिए सारी सुविधाएं घर जैसी उपलब्ध कराई जाती है चाहे वह फिर भोजन हो या फिर नशे के आदमियों के लिए नशे की व्यवस्था लेकिन उसके लिए उन्हें मोटी रकम देना होता है जबकि जेल कैदियों के लिए चार दिवारी का ऐसा कारागार है जहां उन्हें बंदी बना कर शासन प्रशासन की मंशा बंदियों के आचरण में सुधार लाने की होती है जेल में खूंखार कैदी भी होते हैं विचाराधीन कैदी भी होते हैं सजायाफ्ता मुजरिम भी होते हैं और ऐसे भी लोग होते हैं जिन्हें झूठे मामलों में फंसाकर जेल भेजा जाता है इन कैदियों में कुछ तो पेशेवर अपराधी होते हैं जिन को जेल आने जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता और उनके लिए जेल घर के समान ही होता है लेकिन जिस तरह से रीवा केन्द्रीय जेल ने आए दिन कुछ न कुछ घटनाएं सामने आ रही है और लोग मुखरित होकर सिस्टम के खिलाफ आवाज उठाने लगे हैं इससे यह साबित होता है कि केन्द्रीय जेल रीवा में सब कुछ सही नहीं नहीं चल रहा है। और केंद्रीय जेल रीवा के हेलीकॉप्टर पर 3 बार से ज्यादा जो सवार हुआ उसका मौत होना तय होता है।

*क्या होता है जेल का हेलीकॉप्टर*

जी हां आपने सोचा होगा कि हेलीकॉप्टर तो उड़ता है लेकिन जेल के हेलीकॉप्टर की कहानी कुछ अलग ही होती है यदि जेल में आपने अपने हक के लिए आवाज उठाई या जेलर द्वारा मांगे गए पैसों की रकम सही समय पर नहीं पहुंचा तो जेलर द्वारा सजायाफ्ता बंदियों से मिलकर पैसे कि मांग किए गए बंदियों से या अपने हक की लड़ाई के लिए आवाज उठाने वाले बंदियों को चक्कर में बुलवाया जाता है जहां पर जेलर के दूत पट्टे लेकर खड़े रहते हैं, और फिर शुरू होता है हेलीकॉप्टर का उड़ना यहां पर जेलर के चार दूतों द्वारा बंदियों के हाथ पांव पकड़कर हवा में उड़ा दिया जाता है इसके बाद जेलर के दूतों द्वारा कैदियों के ऊपर सैकड़ों पट्टे बरसाए जाते हैं और पुनः बंदी को नीचे उतार कर उसका बीपी मापा जाता है बीपी सही मिलने पर फिर से यही प्रक्रिया स्टार्ट होती है बंदी को जेलर के दूतों द्वारा तब तक मारा जाता है जब तक उसको टट्टी पेशाब ना छूट जाए । कही राजीव शुक्ला 3 बार से ज्यादा जेल के हेलीकॉप्टर पर सवार तो नहीं हुआ जिससे उसकी मौत हो गई

*भोजन की गुणवत्ता पर भी सवाल*

केंद्रीय जेल से जमानत पर छूटे एक बंदी ने बताया कि जेल में भोजन की गुणवत्ता भी बहुत ही खराब है। अक्सर सब्जी में कीड़े निकलते हैं। आटा भी ठीक नहीं होता है। इससे रोटी सही नहीं बनती है। दाल के नाम पर पानी दिया जाता है, उसमें दाल बहुत ही कम होती है। और तो और यदि पैसे है तो केंद्रीय जेल रीवा में आपको पेट भर खाना मिलेगा यदि पैसे नही है तो आधा पेट खाना खा के ही जेल में जिंदगी बितानी है। क्योंकि जेल में सजा पड़े बंदी जेल अधीक्षक के चहेते होते है ।ये जैसे भी जिससे चाहे उससे वसूली करते है। चाहे बंदियों को कितनी भी यातनाएं देनी पड़े ।