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भारत का एक मात्र चारमुख वाला महादेव मंदिर

बड़ी: खबर

संवाददाता: कमलाकांत मिश्रा 

पन्ना: बुंदेलखंड  मध्यप्रदेश 

चौमुखनाथ मंदिर भारत का एकमात्र ऐसा शिवलिंग है जिसमें भोलेनाथ के चार अलग अलग चेहरों को शिवलिंग पर उकेरा गया हो।  

चौमुख नाथ मंदिर मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में सालेहा के पास नचना कुठार गाव के पास है ये शिवली "चौमुखनाथ " लगभग सातवीं आठवीं शताब्दी में प्रतिहार राजवंशों के शासनकाल में बना चौमुखनाथ मंदिर भारत का एकमात्र ऐसा शिवलिंग है जिसमें भोलेनाथ के चार अलग अलग चेहरों को शिवलिंग पर उकेरा गया हो! इसी मंदिर परिसर में ही गुप्त काल का पार्वती मंदिर भी है जो अपनी प्राचीन वास्तुकला के लिए भी प्रसिद्द है!

चौमुखनाथ मंदिर पन्ना जिले के सलेहा में स्थित है भोलेनाथ की दुर्लभ चतुर्भुज प्रतिमा, 5वीं सदी का बताया जा रहा मंदिर। एक ही मूर्ति में दूल्हा, अर्धनारीश्वर और समाधि में लीन शिव के होते हैं दर्शन वैसे तो अपनी-अपनी जगह सभी शिव मंदिरों का महत्व है लेकिन सलेहा क्षेत्र के नचने का चौमुख नाथ महादेव मंदिर का इतिहास ही अनोखा है। कहते है अति प्राचीन इस मंदिर में भगवान शिव के चार मुख वाली प्रतिमा स्थापित है। प्रतिमा का हर मुख अलग-अलग रूप वाला है। इस मंदिर के नीचे आज भी मौजूद है चमत्कारी मणि, एक रात में बना था देवतालाब का शिव मंदिर.

चौमुखनाथ मंदिर में प्रतिष्ठित चार मुख वाली विलक्षण शिव प्रतिमा। चौमुखनाथ महादेव मंदिर के आलावा इसी क्षेत्र में अति प्राचीन सिद्धनाथ मन्दिर है। जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 60 किमी. दूर स्थित यह अनूठा स्थल अगस्त मुनि आश्रम के नाम से विख्यात है। इस पूरे परिक्षेत्र में प्राचीन मन्दिरों व दुर्लभ प्रतिमाओं के अवशेष जहां - तहां बिखरे पड़े हैं, जिन्हें संरक्षित करने के लिए आज तक कोई पहल नहीं हुई। पन्ना जिले के सिद्धनाथ मन्दिर की शिल्प कला देखने योग्य है, ऊंची पहाडिय़ों से घिरे गुडने नदी के किनारे स्थित इस स्थान पर कभी मन्दिरों की पूरी श्रंखला रही होगी। मन्दिरों के दूर - दूर तक बिखरे पड़े अवशेष तथा बेजोड़ नक्कासी से अलंकृत शिलायें, यहां हर तरफ दिखाई देती हैं। जिससे प्रतीत होता है कि यहां कभी विशाल मन्दिर रहे होंगे।

भव्य और अनूठे मन्दिरों के लिए प्रसिद्ध पन्ना जिले में हर तरफ इतिहास विखरा पड़ा है। प्राकृतिक मनोरम स्थलों की तो यहां पूरी श्रंखला है फिर भी इस इलाके में सैलानी नजर नहीं आते। पर्यटन विकास की अनगिनत खूबियों के बावजूद इस क्षेत्र को विकसित नहीं किया गया। यदि इस अंचल की धरोहरों को सहेजकर उन्हें पर्यटन के नक्शे पर लाया जाय तो यहां रोजगार के नये अवसर सृजित हो सकते हैं। 

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