कोरोना के बाद एक बार फिर से मास्क की वापसी हो गई है. इस बार वजह बना है लोगों को तेज़ी से चपेट में लेने वाला H3N2 इन्फ्लूएंजा वायरस. देश में अब तक H3N2 इंफ़्लुएंज़ा से दो लोगों की मौत हुई है. दोनों मरीज़ कर्नाटक और हरियाणा के थे. वहीं इस वायरस के अब तक 90 केस मिले हैं. इस बीमारी की परेशानी लिए अस्पतालों में मरीजों की तादाद बढ़ने लगी है. शांति गोयल पिछले 5 दिनों से अस्पताल में हैं. बुखार और खांसी की शिकायत इतनी बढ़ गई कि दाखिल होना पड़ा. उम्र करीब 75 के आसपास है और अब इलाज के बाद सुधार है.
शांति गोयल ने बताया कि उन्हें खांसी की शिकायत थी. इस दौरान उन्हें बुखार भी आया और निमोनिया बन गया. इसके बाद अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. हालांकि, शांति अकेली ऐसी नहीं हैं. इन दिनों कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं. मौसम बदलने के साथ ही H3N2 इन्फ्लूएंजा वायरस ने तेज़ी से लोगों को चपेट में लेना शुरू किया है. इससे बचाव को लेकर मास्क की फिर से वापसी हो गई है. आईएमए ने इस बीमारी में एंटीबायोटिक के इस्तेमाल से परहेज़ की सलाह दी है.
डॉक्टर अनिल गोयल (सदस्य, आईएमए) ने बताया, "इसका पहला लक्षण बुखार है. ये बुखार तीन दिन रह सकता है और हाई ग्रेड जा सकता है. बुखार 102 या उससे ऊपर भी जा सकता है. एक लंबी खांसी तीन हफ्तों तक, नाक बहना, कमजोरी आना भी हो सकता है. इस दौरान एंटीबायोटिक का इस्तेमाल नहीं करना है. इस वायरल डिजीज में फायदा नहीं करेगी और एंटीबायोटिक रेजिस्टेंट डिवेलप हो जाएगा."
सांस रोग विशेषज्ञ की मानें तो 10 से 15% मरीजों के लिए ये बीमारी खतरनाक है. वहीं, ज्यादातर मरीजों में लक्षण माइल्ड ही हैं. प्राइमस अस्पताल के स्वांस रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एस के छाबड़ा कहते हैं कि ज्यादातर मरीज़ हल्के बुखार से पीड़ित हैं. इस दौरान मरीजों को सिर्फ पैरासिटामोल ही लेना है. पानी खूब पीना है और खुद को आइसोलेट करें. आम तौर पर 5-7 दिन में ये बीमारी ठीक हो जाती है. कुछ मरीज ऐसे होते हैं, जिनमें पहले से कुछ बीमारी की वजह से इम्यूनिटी कम हो जाती है. ऐसे मरीजों में बीमारी भयंकर रूप ले सकती है.