रोहा राजागांव निवासी,रोहा हायरसेकेंडरी के पुर्व शिक्षक, शंकरी कला संस्कृति के साधक, गायन वायन शिल्पी, शिल्पी पेंसनर हरेंद्र नाथ बोरा का आज प्रात:80वर्ष की उम्र में देहांत हो जाने पर रोहा क्षेत्र में शोक की लहर व्याप्त है।
वर्ष 1943में जन्में रोहा राजागांव निवासी तथा विशिष्ट शंकरी कला संस्कृति के साधक, गायन वायन शिल्पी,शिल्पी पेंसनर,रोहा हायरसेकेंडरी के पुर्व शिक्षक हरेंद्र नाथ बोरा गांव अनुष्टित होने वाले नाटक भावना,थियेटर में हिस्सा लेने के साथ ही खुल ताल ढोल नगाडों के साथ जौडकर सेवा प्रदान करते आ रहे थे। स्व.बोरा अपने शु मधुर कंठो से नाम कीर्तन, पुरी पाठ करने के साथ ही दिहानाम,भाउना में अभिनय कर सभी मंत्रमुग्ध करतेथे।गायन के विषय में विषारद की उपाधि प्राप्त कर शंकरी संगीत विद्यालय में 21वर्षों तक सेवा प्रदान करने वाले शिल्पी बोरा गायन विद्यार जिलिकनी नामक संगीत पुस्तक और अर्जुन भंजन नामक नाट्य गीत की स्वरलिपि संगीत विषयक ग्रंथ प्रकाशित की।
वर्ष 2017में गहपुर में अनुष्टित श्रीमंत शंकरदेव संघ के अधिवेशन में शिल्पी बोरा को डम्बरूधर बोरा शंकरी संस्कृति पुरस्कार प्रदान करने के साथ ही रोहा आंचलिक पत्रकार संघ के ईक्किस वें स्थापना दिवस पर दिये गये अवदानों के लिए सम्मानित करने के साथ ही बोहाग बिहु के उपलक्ष में रोहा शाखा साहित्य सभा और असम जातीय परिषद के प्रतिनिधि बोरा के घर उपस्थित हो फुलाम गमछा और अभिनंदन पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया था। शिल्पी बोरा के देहांत पर रोहा आसु,अजायुछाप, मास,साहित्य सभा,कर्मचारी परिषद,रोहा पत्रकार संघ, असम जातीय परिषद जातिय युवा शक्ति,अकनिर कविता घर, असम सहित विभिन्न दल संगठनों ने गहरा शोक प्रकट करते हुवे दिवंगत आत्माशांति की प्रार्थना और शोकसंत्पत परिवार के प्रति गहरी संवेदना प्रकट कीहै।शिल्पी बोरा अपने पिछे पत्नी, दो पुत्र, एक पुत्री सहित भरापुरा परिवार छोड गये है।