राजस्थान के सीकर में स्थित खाटू श्याम मंदिर के द्वार सोमवार 6 फरवरी से आमजन के लिए खुलने जा रहे हैं. श्री श्याम मंदिर कमेटी ने रविवार शाम नोटिफिकेशन जारी करते हुए इसकी जानकारी साझा है. मंदिर कमेटी के कोषाध्यक्ष कालू सिंह ने बताया कि 13 नवंबर को दर्शन व्यवस्था आमजन के लिए पूर्ण रूप से बंद की गई थी, जिसे 85 दिन बाद 6 फरवरी को शाम 4 बजे से वापस खोला जा रहा है.

श्याम भक्तों को सुलभ और सुगम दर्शन करवाने के लिए प्रशासन ने मंदिर क्षेत्र में कई बदलाव किए हैं. मंदिर परिसर और बाहरी क्षेत्र में रास्तों का विस्तारीकरण किया गया है. मंदिर के अंदर सभामंडप को हटाकर कतारों की संख्या बढ़ाई गई है. यानी अब भक्त 16 कतारों में आसानी से दर्शन कर सकेंगे. हर भक्त को दर्शन के लिए औसत 4 मिनट का समय मिलेगा. इन्हीं सारे बदलाव और व्यवस्थाओं के लिए 13 नवंबर 2022 को मंदिर बंद कर दिया गया था.

जिला प्रशासन की पहल पर अब खाटू श्याम मंदिर में तिरुपति बालाजी मंदिर जैसी सर्वोत्तम व्यवस्था लागू की जाएंगी. जिला कलेक्टर डॉ. अमित यादव ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सतर्कता की दृष्टि से तिरुपति में आने वाले हर श्रद्धालु की और उनके लगेज की स्क्रीनिंग होती है. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन, सामान्य-वीआईपी दर्शन, डोनेशन दर्शन, समस्त दर्शनों में श्रद्धालुओं की फोटो स्कैन रहती है, जिससे तिरुपति मंदिर कैंपस में किसी भी समय उपस्थित श्रद्धालुओं की संख्या के बारे में मंदिर और स्थानीय प्रशासन को जानकारी रहती है. ऐसी ही व्यवस्था जल्द ही खाटू श्याम मंदिर में भी की जाएगी.

मंदिर ट्रस्ट के मंत्री श्याम सिंह (Shyam Singh) के मुताबिक, हर साल फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से द्वादशी तक वार्षिक लक्खी मेले का आयोजन होता है. इस मेले में देश-विदेश से करीब 20 से 25 लाख भक्त श्याम बाबा का दर्शन करने आते हैं. हर महीने शुक्ल पक्ष की एकादशी व द्वादशी को मासिक मेले का आयोजन भी किया जाता है. इस साल भी बाबा का लक्खी मेला 22 फरवरी से शुरू होने जा रहा है. मंदिर कमेटी और प्रशासन ने इसके पूरे इंतजाम भी कर लिए हैं. इस बार मेले में डीजे पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा. मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मेडिकल टीमों का गठन किया जाएगा. साथ ही रींगस, सीकर, फतेहपुर के अस्पतालों में मेला अवधि के दौरान 24 घंटे मेडिकल स्टाफ मौजूद रहेगा. ताकि आपातकालीन स्थिति में गंभीर रोगियों को जल्द उचित इलाज की सुविधा मिल सके. इस बार भक्त बाबा के निशान (झंडे) को मंदिर तक भी नहीं ले जा सकेंगे. लखदातार मैदान के पास ही निशान एकत्रित करने की व्यवस्था की जाएगी