परी फाउंडेशन की फाउंडर एवं न्यूरो साइकोलॉजिस्ट डॉ. सोना कौशल गुप्ता ने बताया कि जोशीमठ के प्रभावित बच्चे, बड़े और बुजुर्ग सब परेशान हैं। बुजुर्गों को एंजायटी, सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर (एसएडी) की समस्या ज्यादा देखने को मिल रही है। यह सीजनल समस्या है। लेकिन, हर बार की अपेक्षा इस बार यह समस्या अधिक है।
घर, बच्चों की पढ़ाई की चिंता समेत अन्य समस्याओं से जूझ रहे जोशीमठ के कई लोग डिप्रेशन और एंजायटी के शिकार हो गए हैं। ये लोग परी फाउंडेशन के हेल्पलाइन नंबर पर कॉल कर न्यूरो साइकोलॉजिस्ट से समाधान मांग रहे हैं। डॉक्टर काउंसिलिंग कर उन्हें उचित सलाह दे रहे हैं।
धंसते जोशीमठ में सैकड़ों लोगों को अपना आशियाना खाली करना पड़ा। बच्चों के स्कूल छूटे और लोग इधर से उधर भटकने लगे तो उनमें उम्मीद की किरण भी धुंधली हो गई। भविष्य में क्या होगा, कब नया घर मिलेगा, बच्चों की आगे की पढ़ाई कैसे होगी, इन सभी सवालों में उलझे लोग मानसिक रूप से परेशान हो गए हैं। तनाव अधिक होने की वजह से डिप्रेशन और एंजायटी के शिकार हो गए हैं।
इन लोगों की काउंसिलिंग के लिए परी फाउंडेशन ने समाजसेवियों और मीडिया के जरिये हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। इसके बाद लोगों के फोन आने शुरू हुए। मोबाइल नंबर 9411028002 पर अब तक करीब एक दर्जन लोग फोन कर सलाह ले चुके हैं। बृहस्पतिवार को फाउंडेशन की ओर से जोशीमठ के स्कूलों के बच्चों के साथ ऑनलाइन संवाद भी हुआ।
माता-पिता बच्चों की पढ़ाई के लिए चिंतित
इन समस्याओं से जूझ रहे हैं लोग परी फाउंडेशन की फाउंडर एवं न्यूरो साइकोलॉजिस्ट डॉ. सोना कौशल गुप्ता ने बताया कि जोशीमठ के प्रभावित बच्चे, बड़े और बुजुर्ग सब परेशान हैं। बुजुर्गों को एंजायटी, सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर (एसएडी) की समस्या ज्यादा देखने को मिल रही है। यह सीजनल समस्या है। लेकिन, हर बार की अपेक्षा इस बार यह समस्या अधिक है। वहीं, माता-पिता बच्चों की पढ़ाई के लिए चिंतित हैं। बच्चे भी गुमसुम हो गए हैं। कुछ बच्चे अपने बोर्ड एग्जाम को लेकर परेशान हैं। प्रीबोर्ड में उनके नंबर कम आए हैं और अब उन्हें आगे के एग्जाम की चिंता हो रही है।
निराश न हों... रात के बाद दिन जरूर आता है
डॉ. सोना कहती हैं कि फोन पर लोगों की काउंसिलिंग की जा रही है। बच्चों को बताया जा रहा है कि तनाव भूलकर पढ़ाई पर ध्यान दें। प्रीबोर्ड ठीक नहीं गया तो कोई बात नहीं। मेन एग्जाम पर ध्यान दें। बुजुर्गों के लिए कहा जा रहा है कि किसी भी हाल में उन्हें अकेला न छोड़ें। उनके साथ बैठें और बातें करें। अगर लाइट नहीं है तो बुजुर्गों को अंधेरे में नहीं बल्कि रोशनी में रखें। जीवन में समस्याएं तो आती हैं लेकिन निराश न हों। क्योंकि, रात के बाद दिन जरूर आता है।