आज वसंत पंचमी का त्योहार है। वसंत पंचमी पर देवी सरस्वती की पूजा करने का महत्व होता है। इस दिन विवाह, गृह प्रवेश, विद्यारंभ और नया कार्य करना काफी शुभ होता है। वसंत पंचमी एक अबूझ मुहूर्त है, जिसमें किसी भी तरह के शुभ कार्य करने के लिए मुहूर्त का विचार नहीं किया जाता है।
महाकवि कालिदास ने ऋतुसंहार नामक काव्य में वसंत पचंमी को ''सर्वप्रिये चारुतर वसंते'' कहकर अलंकृत किया है।
गीता में भगवान श्री कृष्ण ने ''ऋतूनां कुसुमाकराः'' अर्थात मैं ऋतुओं में वसंत हूं कहकर वसंत को अपना स्वरूप बताया है ।
वसंत पंचमी के दिन ही कामदेव और रति ने पहली बार मानव ह्रदय में प्रेम और आकर्षण का संचार किया था।
इस दिन कामदेव और रति के पूजन का उद्देश्य दांपत्त्य जीवन को सुखमय बनाना है , जबकि सरस्वती पूजन का उद्देश्य जीवन में अज्ञानरुपी अंधकार को दूर करके ज्ञान का प्रकाश उत्त्पन्न करना है ।
पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा ध्यान और शांति की दिशा मानी गई है व सकारात्मक ऊर्जाओं का प्रभाव भी इसी दिशा में सबसे अधिक होता है। अतः ध्यान रहे कि अध्ययन कक्ष इन्हीं दिशाओं में हो और पढ़ते समय चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रहें।
वसंत पंचमी के दिन भूलकर भी काले, लाल या अन्य रंग बिरंगे वस्त्र नहीं धारण करने चाहिए। दरअसल मान्यता है माता सरस्वती का जब अवतरण हुआ था तब ब्रह्मांड की आभा लाल,पीली और नीली थी लेकिन सबसे पहले पीली आभा के दर्शन हुए थे और माता सरस्वती को पीला रंग प्रिय है। इसलिए इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है।
वसंत पंचमी के दिन मांस-मंदिरा से दूरी बनाकर रखें। इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें।
वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की आराधना की जाती है इसलिए इस दिन मन में कोई भी गलत विचार न लाएं और न ही किसी व्यक्ति को अपशब्द कहें।
वसंत पंचमी के दिन बिना स्नान किए किसी भी चीज का सेवन न करें। इस दिन स्नान करके मां सरस्वती की पूजा करें इसके बाद ही कुछ ग्रहण करें।
वसंत पंचमी के दिन पेड़-पौधों की कटाई-छटाई भी न करें, क्योंकि इस दिन से बसंत ऋतु का भी आगमन होता है। इसलिए उसका सम्मान करने के लिए वृक्षों को काटने से बचना चाहिए।