हिमाचल में सीएम सुखविंदर सिंह ​सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) अभी तक अपनी कैबिनेट का गठन नहीं कर पाए हैं. उन्हें शपथ लिए बीस दिन बीत चुके हैं. मगर अभी नामों को लेकर सहमति नहीं बन सकी है. पार्टी में अंदरूनी कलह के कारण शपथ लेने के लगभग तीन हफ्ते बाद भी सीएम के लिए कैबिनेट का गठन करना मुश्किल हो रहा है. गौरतलब है कि हिमाचल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को शानदार जीत हासिल हुई है. इसके बावजूद यहां पर गुटबाजी बढ़ती जा रही है. सूबे के सीएम दिल्ली से शिमला का रुख कर रहे हैं, मगर अभी तक कैबिनेट सहयोगियों के नाम तय नहीं हो सके हैं. इसका कारण पार्टी में गुटबाजी को बताया जा रहा है

बड़ी संख्या में मंत्री पद के दावेदार सामने आ रहे हैं. प्रतिभा सिंह के अलावा कई कद्दवार नेताओं की दावेदारी की वजह से फैसला लेना कठिन हो रहा है. 68 विधानसभा सीटों वाले राज्य में अब तक मंत्रिमंडल का गठन करना बड़ा सिरदर्द बन गया है. शिमला, कांगड़ा, हमीरपुर, मंडी से काफी तादात में विधायकों को चुना गया है. इनमें से किसको मंत्री पद दिया जाए, यह निर्णय लेना कठिन है.

गौरतलब है कि पूर्व अध्यक्ष कुलदीप राठौर, पिछली बार प्रेम कुमार धूमल को पराजित करने वाले राजेन्द्र राणा, इसके साथ पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा, धनीराम शांडिल्य, कुलदीप पठानिया जैसे बड़े नामों की दावेदारी हो रही है. वहीं बड़े दिवंगत नेता जीएस बाली के बेटे और सबसे अधिक वोट जीतने वाले रघुबीर बाली का दावा भी मजबूत है. वीरभद्र परिवार का खेमा भी अपने अधिक से अधिक समर्थकों को मंत्री बनवाने की कोशिश में है. पार्टी के पास बहुमत है, मगर भाजपा द्वारा सेंध का डर हमेशा बना रहता है. ऐसे में पार्टी जल्द से जल्द सभी की सहमति से मंत्रिमंडल का गठन करना चाहती है. 

हिमाचल प्रदेश में छह जनवरी से विधानसभा का सत्र शुरू होगा. इसके बाद किसी भी दिन पार्टी मंत्रिमंडल में विस्तार को लेकर रणनीति बना सकती है. इसके लिए पार्टी आलाकमान की ओर से वरिष्ठ नेताओं से संपर्क साधा जा रहा है.