विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं का जमावड़ा गुजरात में है. इस बार के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के साथ ही आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल भी गुजरात दौरे हैं. गुजरात चुनाव में बीजेपी की तिकड़ी पर सबसे बड़ी जिम्मेदारी है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकास, गृह मंत्री अमित शाह की संगठन रणनीति और योगी का हिंदुत्व है. आइए बताते हैं बीजेपी को सत्ता की चाभी दिलाने वाली इस तिकड़ी के बारे में...
पटौदी इंटरप्राइजेज एवं अलगोजा रिसोर्ट - बूंदी
पटौदी इंटरप्राइजेज एवं अलगोजा रिसोर्ट कीऔर से बूंदी वासियों को दीपावली की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं
गुजरात को वाइब्रेंट राज्य बनाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैसे ही यहां की कमान संभाली, इसके बाद उन्होंने अपने विकास की छवि से ऐसा असर छोड़ा कि पूरे देश में गुजरात मॉडल की चर्चा होने लगी. मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब 2005-06 में गुजरात के ग्रोथ रेट लगभग 15 फीसदी के आसपास रहा था. उसके बाद गुजरात ने हर सेक्टर में विकास की इबादत लिखी, रोड कंस्ट्रक्शन हो या बिजली उत्पादन हो. गुजरात ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में विकास की बड़ी इबादत लिखी है.
एक दौर था जब गुजरात को फूड डेफसिट राज्य के तौर पर जाना जाता था. एक दौर यह है कि गुजरात में सरप्लस फूड होता है. सुई से लेकर जहाज तक के सेक्टर में गुजरात ने तरक्की की, मुख्यमंत्री रहते हुए गुजरात में इज ऑफ डूइंग बिजनेस मोदी के युग में हुआ, जिसमें टाटा नैनो से लेकर वाइब्रेंट गुजरात सबमिट प्रमुख रहे हैं, जिसमें गुजरात में उद्योग सहित विकास को तीव्र गति मिली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब भी रैलियों में यह कहते हैं कि नए गुजरात को उन्होंने बनाया है.
गुजरात में बीजेपी संगठन के मजबूत की कोई सबसे बड़ी नींव है तो वो केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह हैं. जब मोदी मुख्यमंत्री थे तब अमित शाह सरकार के साथ संगठन को बेहतर ढंग से मैनेज करते थे और जब मोदी प्रधानमंत्री का चेहरा बने तो वो यूपी के प्रभारी और यूपी में लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जो बंपर जीत हासिल की. उसका श्रेय अमित शाह को गया, केवल यूपी ही नहीं जब अध्यक्ष बनकर उन्होंने पार्टी की कमान सम्भाली तो जम्मू कश्मीर से लेकर नॉर्थ ईस्ट तक बीजेपी ने कमल खिलाया. इसी तरह यह भी कहा जाता है कि गुजरात में अमित शाह बूथ लेवल तक के कार्यकर्ताओं के सीधे टच में रहते हैं, जिसके चलते हर एक नेता का रिपोर्ट कार्ड इनके पास होता है और पार्टी अपने फैसले इसी आधार पर लेती है